क्या अस्सी घाट पर आयोजन के लिए लेनी होगी सुबह-ए-बनारस से परमीशन?
अस्सी घाट पर लगा है इस संदर्भ के जिलाधिकारी के आदेश के नाम का बैनर…
बैनर में बिना सुबह-ए-बनारस के अनुमति-सहमति के कोई कार्यक्रम न करने का लिखा है आदेश…
मार्च मंगलवार 17-3-2020 वाराणसी/उत्तर प्रदेश: नये अस्सी घाट पर यदि आप कोई भी आयोजन कराना चाहते हैं तो आपको सुबह-ए-बनारस के आयोजकों से इसकी अनुमति लेनी होगी, इनकी अनुमति और सहमति के बिना आप घाट पर कोई कार्यक्रम नहीं करा सकते। चौकिए मत, ऐसा हम नहीं बल्कि नये अस्सी घाट पर जिलाधिकारी के नाम से लगे आदेश के बैनर में लिखा गया है। जबकि सबको मालूम है कि सुबह-ए-बनारस एक निजी संस्था है और उसके द्वारा सुबह और शाम दोनो समय कार्यक्रम कराये जाते हैं। अभी हाल में यह भी पता चला है कि इस कार्यक्रम से सरकार को कोई भी राजस्व की प्राप्ती नहीं होती, बल्कि सारा पैसा आयोजक ही गटक जाते हैं। ऐसे में सवाल यह है कि कोई निजी संस्था भला किस अधिकार से सार्वजनिक घाट पर कार्यक्रमों की अनुमति दे सकती है।
इस बैनर में यह भी लिखा है कि यह कार्यक्रम वाराणसी के मेयर, जिलाधिकारी, कमिश्नर आदि का संरक्षण में हो रहा है। जबकि वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि संस्था ने स्वहित के लिए यह बैनर लगवाया है उस समय जिला प्रशासन की ओर से यह कार्यक्रम शुरू कराया गया था यह सच है पर इस समय यह निजी हो गया है। ऐसे में उनके कार्यक्रम में कोई बिध्न न आए इसलिए लोगों को डराने के लिए ऐसा बैनर लगावाया गया है। यह बैनर पढने के बाद आम आदमी को तो यही लग रहा है कि सुबह-ए-बनारस संस्था ही इस घाट की मालिक है। इस संदर्भ में बात करने के लिए हमने वाराणसी के जिलाधिकारी और एडीएम सिटी को फोन भी किया पर किसी कारणवश उनका फोन नहीं उठा।
क्या लिखा है बैनर में:
आवश्यक सूचना-जिलाधिकारी, वाराणसी के आदेश के अनुक्रम में जिला प्रशासन की पहल पर सुबह-ए-बनारस का नियमित आयोजन संस्थागत रूप से नवम्बर, 2014 से किया जा रहा है। वर्तमान में सुबह-ए-बनारस आनन्द-कानन द्वारा वाराणसी के मेयर, पुलिस महानिरीक्षक, आयुक्त और जिलाधिकारी के संरक्षण में नियमित रूप से कार्यक्रम संचालित हो रहा है। आयुक्त, वाराणसी मंडल के निर्देश के अनुसार नया अस्सी घाट पर कोई भी कार्यक्रम सुबह-ए-बनारस के आयोजकों के अनुमति/सहमति के बिना नहीं किया जायेगा। आदेश संख्या-9318/एस.टी.कैम्प 2014। आज्ञा से जिलाधिकारी, वाराणसी।
घाट पर आयोजकों की मनमानी:
यह कोई अस्सी घाट की ही बात नहीं है कई और ऐसे घाट भी शहर में हैं जहां बिना प्रशासन के अनुमति के जो चाहे, जैसा चाहे अपने मनमाने ढंग से कार्यक्रम संचालित करा रहा है, अपने-अपने कार्यक्रम को बड़ा बनाने के लिए बड़े कानफाड़ू लाउडस्पीकरों से ध्वनि के मानकों को तार-तार किया जा रहा है और प्रशासन मूक-बधिर बना बैठा है।
रत्नेश वर्मा, सचिव, सुबह-ए-बनारस:-
यह कार्यक्रम जिलाधिकारी ने ही नवंबर 2014 में शुरू कराया था। उनका आदेश भी था। पर अब तक यदि वह बैनर है तो उसे तत्काल हटाया जाएगा। हमने किसी को भी यहां कोई कार्यक्रम करने से रोक-टोक नहीं की है बस जब सुबह-ए-बनारस के कार्यक्रम होते हैं उसी समय अन्य कार्यक्रमों के होने से दिक्कतें आती हैं इसलिए इस बैनर को लगवाया गया था। मेल-मिलाप से कोई कार्यक्रम हो सकते हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…