अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को आ रहा है…

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को आ रहा है…

स्त्री शक्ति और रंग उमंग को समर्पित है या अंक महिलाओं का सम्मान करें और पानी की बर्बादी से बचे…

स्त्री हो या पुरुष दोनों के लिए याद रखने वाली बात है यहां की दुनिया की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए जिस नई ताल की दरकार है वह बराबरी के रास्ते से ही आती है

हर स्त्री को खुद जलाना होगा समानता का दीपक

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर इस साल के पेन थीम ही यही है सभी के लिए समानता समानता महिला मात्र का मुद्दा नहीं है या आर्थिक व सामाजिक विकास की जरूरत है दुनिया की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए जिस लय ताल के दर करार है वह समानता के रास्ते सही आती है तो क्यों ना हम खुद से वादा कर समानता के लिए बिगुल बजाने की शुरुआत अपने घर आंगन से करें शंकर नाथ करें उन सभी मिथकों पूर्व धारणाओं और भ्रमों को दूर करने के लिए जो इस राह में अटके हैं जिसकी वजह से वहां हमें कमजोर समझ रहा
जिसे इस दुनिया में लाने वाले हम हैं ऐसा ही एक मिथक हमारे चुप्पी व सहनशीलता को लेकर है यहां भी असमानता को बढ़ाने में इतने सहायक है कि इससे जुड़ी कहीं कहावतें पूर्व धारणाएं प्रचलित कर दी गई है घर की बात और फैमिली सिगरेट का हवाला देकर हमें चुप रहना सिखाया जाता है सीधी …. ऐसी उपमा दी जाती है एक ऐसी मिसाल दे देखकर किस्से सुनाए जाते हैं कि इतनी प्रताड़ना के बाद भी उनसे उप तक नहीं की जाती है ससुराल में सब प्रताड़ित करते थे पर मजाल है कि मायके वालों के सामने कुछ कहा हो।

लेकिन जहां प्रतिकार के स्वर बुलंद हुए देवी से दानवी करार दी जाती है महिलाएं आप एक क्षण में ही केकयी और मथुरा भी बन जाएगी लेकिन खुद सोचिए क्या जरूरत है देवी बनने की इंसान बनिए वैसे ही जैसे आपके पति, पिता ,भाई और बेटे हैं

महिलाओं के अधिकार की बात की जाए तो यहां भी हम आपको बताएंगे देखी और पढ़िए महिला दिवस 2020 का पीडी समानता अभियान हर लिंक आयु जाति धर्म और देश के लोगों को एक साथ लाने के मकसद से रखा गया है पिछले वर्ष भी बेहतरी के लिए बराबरी पर जोर दिया गया था संयुक्त राष्ट्र संघ का लक्ष्य वर्ष 2030 तक लिंक के आधार पर हो रहे भेदभाव का दूर करना
इसीलिए हम सबको उस रास्ते पर अपने कदम रखने का प्रयास करना होगा जहां से होकर दुनिया सभी के लिए एक समान हो चुकी संस्कृति और सामाजिक दृष्टिकोण को आकार देने में भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका हमेशा रही इसीलिए ऐसी भाषा का प्रयोग ना करें जो लैंगिक असमानता को बढ़ावा दे रही हो

16 – 22% तक काम के कम पैसे दिए जाते हैं पुरुषों की तुलना में महिलाओं को
इस होली को बनाई अपने शब्दों में रंग बिरंगी शब्दों के बीच में छिपा है एक अर्थ जो महिलाओं को समानता देने का है

आर्टीकल लेखन गोवर्धन कुम्भकार की रिपोर्ट…