विश्वनाथ की दहलीज पर पड़े गौरा के चरण, शुरू हुआ होली का रंग-तरंग…
पालकी पर राजसी ठाठ से गौरा का कराया गवना, दर्शन कर निहाल हुए श्रद्धालु…
उत्तर प्रदेश वाराणसी। तमाम झंझावतों के बाद काशीवासियों ने पूरी तल्लीनता से अपना फर्ज निभाया और धार्मिक परंपरा को टूटने से बचाया। महंत आवास टूटने से गौना का स्थान बदला मगर श्रद्धालुओं का उत्साह नहीं टूटा। होली के हुड़दंग की अनुमति लेने के लिए दोपहर बाद से ही शिव भक्तों का रेला टेढ़ी नाम स्थित महंत आवास पहंचने लगा था। तीन बजते-बजते सभी पर गौरा के गौने की खुमारी चढ़ गई। 108 डमरू दल के डमरूओं की गड़गड़ाहट, ढोल-मजीरे की स्वर लहरिया, अंतर्मन में भक्ति के ज्वार फोड़ रही थी। शंखनाद के साथ उड़ रहे रंग-अबीर लोगों का उत्साह बढ़ा रहा था। ‘हर-हर, बम-बम’, ‘काशी विश्वनाथ गंगे-माता पार्वती संगे’, भजनों पर रजत प्रतिमा के दर्शन को लालायित दिखी। 5ः15 पर महंत कुलपति तिवारी ने आरती की। इसके उपरान्त काशीपुराधिपति माता गौरा और प्रथमेश एक साथ रजत प्रतिमा पर सवार होकर ससुराल से विदा लेने लगे। इस नयनाभिराम झांकी का दर्शन कर सभी निहाल हो गए। ‘हर-हर महादेव’ की गगनचुंभी जयघोष से समुचा इलाका गुंज पड़ा। झांकी के साथ हजारों की संख्या में श्रद्धालु चलते रहे।
परंपरा के अनुसार रंगभरी एकदशी पर बाबा विश्वनाथ के ससुराल में पूजन का क्रम ब्रह्म मुहूर्त से शुरू हो गया था। वैदिक ब्राह्मणों ने बाबा एवं माता पार्वती की चल प्रतिमाओं को पंचद्रव्य एवं पंचामृत से स्नान कराया। मंत्रोच्चार के बीच स्नान की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद, चल रजत प्रतिमाओं का दुग्धाभिषेक कराया गया। भोर में 5 बजे से 8 बजे तक 11 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा सोड़शोपचार पूजन किया गया। इसके बाद बाबा को फलाहार का भोग लगाकर महाआरती की गयी। राजशी ठाठ में श्रृंगार के बाद झांकी के दर्शन जनसामान्य के लिए खोल दिये गये। शाम 5ः15 बजे बाबा की रजत पालकी गेट नं.1 से ढुढीराज गणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते हुए भव्य मुख्य द्वार से मंदिर में पहुंची। जहां सप्त ऋषि आरती के बाद स्पर्श दर्शन चलते रहे।
बंदिश मुक्त रहे श्रद्धालु
भले ही प्रशासन की ड्यूटी कम रही, उससे श्रद्धालु पुलिसिया बंदिश से मुक्त रहे। वह पूरे भाव से बाबा का दरस-परस करते रहे। कई दशकों बाद यह ऐसा मौका था जब श्रद्धालु एक-एक परंपरा और यादों को अपने कैमरे में कैद करते रहे। कोई डमरू दल के रुप में कोई डमरू दल के साथ फोटो लेता रहा तो कोई बाबा संग। शिवांजली के कार्यक्रम में कन्हैया दूबे ‘केडी’, स्नेहा अवस्थी, अमलेश शुक्ला के भजनों पर भक्त झुमते रहे। कार्यक्रम का संचालन अरविन्द मिश्रा ‘शांत’ ने किया।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…