विमान ईंधन की बढ़ती कीमत के मद्देनजर विमान सेवा कंपनियों की बैलेंसशीट पर भारी दवाब है जिसके कारण देश में हवाई यात्रा महंगी हो सकती है। अंतरार्ष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी तथा डॉलर की तुलना में रुपये में जारी भारी गिरावट के कारण पिछले एक साल में विमान ईंधन की कीमत 4० प्रतिशत तक बढ़ चुकी है।
दिल्ली हवाई अड्डे पर घरेलू एयरलाइंसों के लिए इसकी कीमत सितम्बर 2017 में 50,020 रुपये प्रति किलोलीटर थी जो अब बढ़कर 69,461 रुपये प्रति किलोलीटर पर पहुंच चुकी है। इस प्रकार इसमें 38.87 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है।
विमान ईंधन के दाम बढ़ने से शेयर बाजार में सूचीबद्ध तीन विमान सेवा कंपनियों में से स्पाइसजेट और जेट एयरवेज को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में नुकसान उठाना पड़ा है जबकि देश की सबसे बड़ी विमान सेवा कंपनी इंडिगो का मुनाफा 96.57 प्रतिशत घटकर 27.79 करोड़ रुपये रह गया।
स्पाइसजेट के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने आज यहाँ एक कार्यक्रम से इतर किराये में बढ़ोतरी की संभावना के बारे में पूछे जाने पर कहा ‘हम लागत कम करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी महीने से हमारे बेड़े में बोइंग 737 मैक्स विमान शामिल होने शुरू हो जायेंगे जो ईंधन के मामले में 15 प्रतिशत लागत कम करते हैं।
इनके रखरखाव का खर्च भी कम है। इसके अलावा विमान सेवा कंपनियों ने सरकार से करों तथा शुक्लों में कटौती का भी अनुरोध किया है। यदि जरूरत पड़ी तो हम बढ़ती लागत का कुछ बोझ किराया बढ़ोतरी के रूप में यात्रियों पर भी डाल सकते हैं।’