कई रोगों की अचूक दवा है फलों और सब्जियों का रस…
दुर्गा प्रसाद शुक्ल आजाद-
प्रकृति ने ऐसी कई सब्जियां और फल हमें दिये हैं जिनके रस के निरन्तर प्रयोग से कैंसर, कुष्ठ रोग जैसे असाध्य रोगों से मुक्ति मिल जाती है बशर्ते हम उनका सेवन विशेषज्ञों के परामर्श से करें। हर व्यक्ति मौसमी फल और सब्जियों के रस से स्वस्थ रह सकता है।
आंवले का रस
आंवले में विटामिन सी सबसे अधिक पाया जाता है। आंवले का ताजा रस मूत्र संबंधी सभी शिकायतों में उपयोगी रहता है। दो-तीन महीनों तक आंवलों का ताजा रस पीने से दीर्घ की निर्बलता में लाभ मिलता है। आंखों की रोशनी बढ़ाने, बहरापन दूर करने में भी यह रस लाभप्रद है। साथ ही एसिडिटी कम करने, गठिया, सफेद बालों का बढना रोकने, रक्त विकार, पीलिया, एवं हृदय रोगों में भी आंवले का जूस बहुत फायदेमंद होता है।
चुकन्दर का रस
चुकन्दर में पाया जाने वाला बिटिन नामक खास तत्व टयूमर एवं कैंसर की प्रकृति को शरीर से नष्ट करता है। यह तत्व शरीर में रोगों से लडने की क्षमता बढ़ाता है। इसीलिए खून की कमी होने पर एक कप की मात्रा में दिन में तीन बार इसके रस को पीने से लाभ होता है। गुर्दे संबंधी रोगों को दूर करने के लिए एक कप चुकन्दर का रस पीने से फायदा होता है। यह दिमागी गर्मी में भी फायदा करता है।
गाजर का रस
गाजर में विटामिन ए बहुतायत से पाया जाता है। इसीलिए गाजर का रस आंखों हेतु काफी फायदेमंद होता है। दो किलो गाजर का जूस एक-एक कप करके दिन में कई बार पीने से प्राथमिक अवस्था का कैंसर ठीक हो जाता है। गाजर के पत्तों का चार-चार बूंद रस गरम करके कान एवं नाक में डालने से सिरदर्द ठीक हो जाता है। निम्न रक्तचाप वाले रोगों के लिए भी यह रस फायदेमंद होता है।
टिंडे का रस
उच्च रक्तचाप वाले रोगों के लिए टिंडे के रस का सेवन करने से रक्तचाप सामान्य रहता है।
हरी सब्जियों का रस
बथुवा, पालक, मैथी, चैलाई, मूली इत्यादि सब्जियों में आयरन के अलावा कैल्शियम के लिए कच्चा ही प्रयोग में लाना ठीक रहता है। मिक्सी में थोड़े पानी के साथ पीसकर रस निकाला जाता है। मूली का रस पीलिया, बथुए का रस पथरी, पालक का रस पित्त और मैथी का रस पेचिश रोगों में काफी लाभदायक होता है। पेट संबंधी रोग भी उक्त रसों से दूर होते हैं।
टमाटर का रस
पके हुए टमाटरों का रस सुबह और शाम 20 ग्राम ताजे और कुनकुने पानी के साथ पीने से फोड़े फुंसी, एवं खुजली इत्यादि में लाभ होता है। इस रस के सेवन से मधुमेह रोगी के मूत्र में शक्कर की मात्रा सामान्य हो जाती है। इसके रस का बुखार में सेवन करने से बुखार ठीक हो जाता है। मुंह के छालों तथा मसूड़ों से रक्त बहने पर टमाटर के रस को पानी में मिलाकर कुल्ला करते रहने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं और मसूड़ों से ख्ूान आना भी रूक जाता है।
फूलगोभी का रस
फूलगोभी के पत्तों को पकाकर खाने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती है। इसके पत्तों को आंखों पर लगाने से आंखों की लाली ठीक हो जाती है। गला बैठ गया हो तो इसके पत्तों और डंठल को पानी में उबालकर गरारे करने से गला ठीक हो जाता है।
प्याज का रस
एक छोटे चम्मच प्याज के रस में बराबर पानी मिलाकर छोटे बच्चों को दिन में तीन बार पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। बीस ग्राम प्याज के रस में पचास ग्राम मिसरी मिलाकर प्रातः काल बीस दिन तक सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है। प्याज के रस की दो बूंदें कान में डालते रहने से बहरापन दूर हो जाता है। पीलिया रोग में दस ग्राम सफेद प्याज का रस, पांच ग्राम हल्दी, दस ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह-शाम खिलाने से लाभ होता है।
सेब का रस
सेब में विटामिन बी, फास्फोरस एवं लौह तत्व अधिक पाये जाते हैं। इसका रस पेट के रोगों में फायदा करता है। बुखार, अरूचि, अजीर्ण, हृदय एवं उदर रोगों में काफी लाभकारी होता है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…