लखनऊ।हिन्द वतन समाचार…
व्हाट्सएप पर आए किसी भी संदेश की प्रामाणिकता को बिना जांचे और बिना कुछ सोचे उस पर खुशी और चिंता व्यक्त करना…
वाट्सऐप पर आए संदेशों और फेसबुक और लिखी किसी बात को ही सच मान लेना..
कहते हैं कि जब कोई चीज आम लोगों की पहुंच में आसानी से उपलब्ध हो जाती है तो उससे गुणवत्ता की उम्मीद उतनी कम हो जाती है। इसी तरह आजकल सोशल नेटवर्किंग साइटों पर भी हर कोई अपने अपने हिसाब से ज्ञान बघारता नजर आ जाता है, ज्ञान बांटना और किसी भी मुद्दे पर अपना मत रखना अच्छी बात है, पर जब ये बात तथ्यों से छेड़छाड़ और भ्रम फैलाने से जुड़ जाती है, तो ये ही माध्यम घातक भी होने लगते हैं। इस प्रकरण को मैकलुहान के कथन से जोड़ कर देखा जाए तो समझ आता है कि लोग आजकल व्हाट्सएप पर आए किसी भी संदेश की प्रामाणिकता को बिना जांचे और बिना कुछ सोचे उस पर खुशी और चिंता व्यक्त करना शुरू कर देते हैं। आए दिन लोग सरकार पर व अन्यो पर एवं उसकी नीतियों पर प्रतिक्रिया देते हुए फेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप पर दिख जाते हैं और उसी के साथ कितना कितना झूठ उसके सहारे परोसा जाता है, यह बहुत चिंताजनक है। आम लोग जो किसी दस्तावेज या सरकारी आदेश को पढ़ने की जहमत नहीं करना चाहता, वह वाट्सऐप पर आए संदेशों और फेसबुक और लिखी किसी बात को ही सच मान लेता है।
तस्लीम बेनकाब की कलम से….