जमीन विवाद: विश्वभारती विवि के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने प्रधानमंत्री को फिर लिखा पत्र…
-मुख्यमंत्री ममता की टिप्पणी को लेकर जताई आपत्ति, कहा- जमीन अमर्त्य सेन की नहीं, विश्वविद्यालय की
कोलकाता। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित विश्व प्रसिद्ध विश्व भारती विश्वविद्यालय की जमीन पर नोबेल विजेता अमर्त्य सेन के अवैध कब्जे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। जमीन का मालिक अमर्त्य सेन को बताए जाने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी पर विश्वविद्यालय के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने एक बार फिर आपत्ति जताई है।
रविवार के बाद मंगलवार को एक और पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित करते हुए उन्होंने लिखा है। इसमें इस बात का जिक्र किया है कि अपने बीरभूम दौरे के दौरान एक दिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रोफेसर अमर्त्य सेन के घर जाकर मुलाकात की थी। वहां उन्होंने टिप्पणी की थी कि विश्वविद्यालय की जमीन अमर्त्य सेन की है। उसके बाद राज्य सरकार के सूचना और संस्कृति विभाग से बिना हस्ताक्षरित एक निर्देशिका मीडिया में जारी की है जिसमें इस बात का दावा किया गया है कि विश्वविद्यालय की 1.38 एकड़ जमीन के मालिक अमर्त्य सेन हैं। यह बेहद आपत्तिजनक है।
विद्युत चक्रवर्ती ने अपने पत्र में लिखा है कि पश्चिम बंगाल सरकार के भूमि सुधार विभाग के रिकॉर्ड में कहीं भी अमर्त्य सेन के नाम इस जमीन का कोई दस्तावेज नहीं है। उन्होंने एक बार फिर दोहराया है कि विश्व भारती विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अमर्त्य सेन के पिता आशुतोष सेन को रेजिडेंशियल लीज के तौर पर 1.25 एकड़ जमीन अलॉट की थी। वह भी केवल उस समय के लिए जब तक आशुतोष जीवित थे। उसके बाद नियमानुसार इस जमीन पर विश्व भारती विश्वविद्यालय का कानूनी हक है। यह दुर्भाग्य जनक है कि राज्य सरकार का एक विभाग बिना दस्तावेजी सत्यापन के एक ऐसा बयान जारी कर रहा है जो राष्ट्रीय महत्व के एक संस्थान की भूमि पर अवैध कब्जे को बरकरार रखने में मददगार साबित होगा। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि गुरुदेव द्वारा स्थापित विश्व प्रसिद्ध संस्थान किसी भी व्यक्ति विशेष से ऊपर है और इसके हित को ध्यान में रखते हुए काम किया जाना चाहिए।
उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि 2006 में विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से पत्र लिखकर अमर्त्य सेन को जमीन खाली करने को कह दिया गया था। आशुतोष सेन के उत्तराधिकारियों में केवल अमर्त्य सेन नहीं, बल्कि और भी लोग हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रबंधन और उनके बीच किसी भी तरह कभी जमीन का लेन देन अथवा म्यूटेशन की प्रक्रिया नहीं हुई है। राज्य सरकार अगर यह दावा कर रही है कि जमीन का मालिकाना हक अमर्त्य सेन को दिया गया है तो यह पूरी तरह से अवैध है। इस बारे में विश्वविद्यालय प्रबंधन को कोई सूचना नहीं दी गई और ना ही जानकारी दी गई है। सरकार को संस्थागत नियमों को ध्यान में रखते हुए टिप्पणी करनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि रविवार को भी विद्युत चक्रवर्ती ने इसी तरह से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर दावा किया था कि विश्वविद्यालय की केवल 1.25 एकड़ जमीन अमर्त्य सेन के पिता को लीज पर दी गई थी। उस पर अमर्त्य सेन का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। उन्होंने विश्वविद्यालय की जमीन को अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…