उच्च न्यायालय ने राम जन्मभूमि ट्रस्ट संबंधी सूचना मुहैया कराने को लेकर सीआईसी के आदेश पर रोक लगाई…

उच्च न्यायालय ने राम जन्मभूमि ट्रस्ट संबंधी सूचना मुहैया कराने को लेकर सीआईसी के आदेश पर रोक लगाई…

नई दिल्ली,। दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और प्रबंधन देख रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से संबंधित सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया था।

अदालत ने इस बात पर गौर करते हुए अंतरिम राहत दी कि सीआईसी ने उस ट्रस्ट को नोटिस जारी नहीं किया था, जिसके बारे में सूचना मांगी गई थी, जो कि सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के प्रावधानों के तहत अनिवार्य है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता, सीपीआईओ, सीबीडीटी ने अंतरिम राहत देने के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनाया है। अगर अंतरिम राहत नहीं दी जाती है तो उसे अपूरणीय क्षति होगी। सीपीआईओ, सीबीडीटी ने बताया है कि 30 नवंबर, 2022 का आदेश उसे 3 जनवरी, 2023 को प्राप्त हुआ। संबंधित आदेश पर सुनवाई की अगली तारीख तक रोक रहेगी। सीपीआईओ, सीबीडीटी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।’’

अदालत सीबीडीटी के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीआईसी के 30 नवंबर, 2022 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया गया। सीआईसी ने आदेश दिया था कि सीपीआईओ आरटीआई कानून के तहत आवेदन में किए गए कुछ बिंदुओं पर फिर से विचार करेंगे और आदेश की प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर सूचना उपलब्ध कराएंगे।

आरटीआई आवेदक ने दान से संबंधित प्रावधानों के तहत छूट या कटौती प्राप्त करने के लिए ट्रस्ट द्वारा दायर पूर्ण आवेदन (सभी अनुलग्नकों के साथ) की एक प्रति मांगी थी। उन्होंने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ‘ट्रस्ट डीड (न्यास से संबंधित दस्तावेज)’ की एक प्रति भी मांगी थी, जो कि दान के लिए छूट या कटौती प्राप्त करने को लेकर आवेदन के साथ दायर की गई थी।

शुरुआत में सीबीडीटी के सीपीआईओ से सूचना मांगी गई थी, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद, सीबीडीटी के अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष पहली अपील दायर की गई, वहां भी सूचना देने से मना कर दिया गया।

आरटीआई आवेदक कैलाश चंद्र मूंद्रा ने दूसरी अपील के साथ सीआईसी से संपर्क किया, जिसने सीपीआईओ, सीबीडीटी और अपीलीय प्राधिकरण के निष्कर्षों को उलट दिया और 30 नवंबर, 2022 का आदेश पारित किया।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि सीआईसी ने इस तथ्य पर विचार नहीं किया कि आयकर रिकॉर्ड से संबंधित जानकारी आयकर कानून, 1961 की धारा 138 के तहत छूट प्राप्त है, जो एक विशेष कानून है। अदालत ने सीपीआईओ, सीबीडीटी के वकील से इस बात पर विचार करने के लिए कहा कि क्या ट्रस्ट को इस मामले में पक्षकार बनाया जाना चाहिए, जिसकी सूचना आरटीआई आवेदन में मांगी गई है।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…