राजधानी लखनऊ में गरीब बच्चों ने पहली बार मनाया आजादी का जश्न…

राजधानी लखनऊ में गरीब बच्चों ने पहली बार मनाया आजादी का जश्न…

बच्चों ने कहा आप लोगों से पहले कोई नहीं आया हमें तिरंगे का महत्त्व बताने…

डाक्टर सलीम, आफाक मसूरी, जुबेर अंसारी व आमिर मुख्तार की आंखों ने देखा बच्चों में तिरंगा पाने की खुशी…

लखनऊ,आजादी का अमृत महोत्सव हर घर तिरंगा अभियान के तहत पूरे देश में संता दिवस की 75 वीं वर्षगांठ मनाने के लिए पूरा देश जोश ओ खरोश के साथ देशभक्ति की भावना में डूब गया है, हर संस्था हर संस्थान समाजसेवी, शायर कवि, साहित्यकार, शासन प्रशासन, आमजन सभी देशवासी तिरंगे को अपने घरों में गाड़ियों पर लहरा रहे हैं, तिरंगे की मांग इतनी बढ़ गई है की उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तिरंगा मंहगा हो गया, वहीं ऐसे में जो लोग खरीद कर अपने घरों में और अपनी गाड़ी में तिरंगा लगा सकते हैं वो सभी तिरंगा यात्रा भी निकाल रहें हैं और अपने घरों में तिरंगा लगा रहे हैं, लेकिन गरीब बस्तियों में रहने वाले ग़रीब ज़रुरतमंद लोग अपनी झोपड़िया में तिरंगा नहीं लगा पा रहे हैं, उनके इस दर्द को समझते हुए राजधानी की चर्चित संस्था सलाम लखनऊ और उर्दू मैगज़ीन अदबी नशेमन ने गरीब बस्तियों में जाकर अमृत महोत्सव हर घर तिरंगा अभियान के तहत बस्ती वालों की झोपड़ियों में झंडे लहराए, बस्ती वालों और उनके बच्चों के साथ आजादी के इस पर्व को मनाने के लिए अदबी नशेमन के एडिटर डॉ सलीम अहमद सलाम लखनऊ संस्था के अध्यक्ष आमिर मुख़्तार, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर ज़ुबैर अंसारी, पत्रकार आफाक अहमद मंसूरी, समाजसेवी बबलू भाई ने मिलकर बस्ती की झोपड़ियों में झंडे लगाए, बच्चों युवाओं और महिलाओं को तिरंगे के साथ साथ बिस्किट इत्यादि भी वितरित किए, डॉक्टर सलीम अहमद ने बच्चों को तिरंगे का महत्व बताया, ज़ुबैर अंसारी ने बच्चों को देश पर शहीद होने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम याद दिलाए, आफाक अहमद मंसूरी ने बच्चों को तिरंगे के रंगों का मतलब समझाया, आमिर मुख्तार ने बच्चों को जय हिंद, इंकलाब जिंदाबाद, वंदे मातरम, हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारों को सिखाया साथ ही बच्चों के साथ मिलकर इन नारों को बार-बार बुलंद आवाज से दोहराया, जब बस्ती वालों और बच्चों से पूछा कि क्या इससे पहले कोई यहां पर आया था आपके साथ आजादी का जश्न मनाने या आपके घरों में तिरंगा फहराने या आपको किसी ने तिरंगा दिया तो उन सब का एक ही जवाब था कि आज पहली बार हमने तिरंगे को अपने घर पर लगाया है और इसे अपने हाथों से बुलन्द किया है और इसका महत्व आज हमें आप बताने आए हैं और हम सबको अपने देश की आज़ादी का पर्व मिलकर मनाना चाहिए, आपने हमें आजादी के अमृत महोत्सव में अपने साथ जोड़ा इसके लिए हम आपकी संस्था के आभारी हैं तिरंगा मिलने के बाद बच्चों के चेहरों पर जो खुशी थी उसे हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं शब्दों में बयां नहीं कर सकते हम सब को चाहिए कि हम बड़ी-बड़ी हस्तियों विभूतियों के साथ-साथ गरीब बस्तियों में रहने वाले ग़रीबों को भी आज़ादी के जश्न में शामिल करें और उनके घरों को तिरंगे से सजाएं उनके बच्चों के हाथों में तिरंगा दें और साथ ही साथ उन्हें मिठाई भी खिलाए कि आज़ादी के पर्व के मौके पर ताकि वो भी आज़ादी और तिरंगे का महत्व समझ सके और आने वाले समय में अपने बच्चों को आज़ादी और अपने राष्ट्रीय ध्वज का महत्त्व बता सके।

हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…