नोएडा प्राधिकरण पर एनजीटी ने ठोका 100 करोड़ रुपए का जुर्माना…

नोएडा प्राधिकरण पर एनजीटी ने ठोका 100 करोड़ रुपए का जुर्माना…

महिला की शिकायत पर हुई कार्रवाई…

नोएडा। एनजीटी ने बिना शोधित मलजल नालों में बहने से रोकने में विफल रहने को लेकर नोएडा प्राधिकरण पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। अशोधित मलजल यमुना नदी में प्रदूषण का कारक है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने दिल्ली जल बोर्ड पर भी 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।

“प्रदूषण रोकने में विफल नोएडा प्राधिकरण”

एनजीटी ने उल्लेख किया कि नोएडा में 95 ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी में से 56 में मलजल सुविधा या आंशिक उपचार सुविधा है और बिना शोधित मलजल सीधे नाले में बहता है। पीठ ने कहा, ‘‘इसे (बिना शोधित मलजल) रोकने के लिए निर्दिष्ट प्राधिकारी हैं, लेकिन वे अधिकरण द्वारा नियुक्त समितियों की जमीन पर तथ्यात्मक स्थिति का पता लगाने के बाद रिपोर्ट में पिछले लगभग चार वर्षों में इस अधिकरण की ओर से जारी कई निर्देशों के बावजूद इस तरह के प्रदूषण रोकने में विफल रहे हैं।’’

नोएडा प्राधिकरण की बड़ी कमियां सामने आई

पर्यावरण प्रकोष्ठ के निर्माण के संबंध में नोएडा विकास प्राधिकरण ने एनजीटी को सूचित किया कि इसे नहीं बनाया जा सका क्योंकि पेशेवरों को काम पर रखने की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। पीठ ने आगे कहा, ‘‘नोएडा की रिपोर्ट में कोई उल्लेखनीय बदलाव नहीं दिखता, सिवाय इसके कि आर्द्रभूमि का काम नालियों के संबंध में आवंटित किया गया है, लेकिन नालियों की पानी की गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं कर रही है।’’

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सख्त निर्देश दिए

इसने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को दो महीने के भीतर सभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को उचित निर्देश जारी करने का निर्देश दिया। एनजीटी ने कहा कि संबंधित अधिकारियों द्वारा उपचारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए और उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों द्वारा उच्चतम स्तर पर सीधे या किसी उपयुक्त तंत्र के माध्यम से निगरानी की जानी चाहिए।

अभिष्ट कुसुम गुप्ता की शिकायत पर हुई कार्रवाई

पीठ ने कहा, ‘‘अन्य प्राधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और नोएडा प्राधिकरण एवं डीजेबी की अंतिम जवाबदेही पर विचार लंबित रहने के मद्देनजर, उन्हें सीपीसीबी के साथ अंतरित मुआवजे के वास्ते एक अलग खाते में क्रमशः 100 करोड़ रुपये और 50 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया जाता है जिसका उपयोग बहाली उपायों के लिए किया जाएगा।’’ उसने कहा, ‘‘आगे की कार्रवाई की रिपोर्ट तीन महीने के भीतर मुख्य सचिव, दिल्ली और उत्तर प्रदेश द्वारा अपने-अपने राज्यों में अधिकारियों और अध्यक्ष, सीपीसीबी से साथ समन्वय के बाद द्वारा ई-मेल द्वारा दायर की जाए।’’ अधिकरण नोएडा निवासी अभिष्ट कुसुम गुप्ता द्वारा सेक्टर-137 में सिंचाई नहर में मलजल निस्तारण के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट…