ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को कम कर सकतें है पेड़-पौधे : डॉ मनोज…

ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को कम कर सकतें है पेड़-पौधे : डॉ मनोज…

जौनपुर, 04 जून। पर्यावरणविदों का मानना है कि वन क्षेत्र में इजाफा कर और नदियों के संरक्षण के जरिये ग्लोबल वार्मिंग के गंभीर खतरे का असर कम किया जा सकता है।

विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ मनोज मिश्र ने कहा कि वैश्विक स्तर पर निरंतर बढ़ रहे तापमान को हम इन्ही पेड़- पौधों के जरिये नियंत्रित कर सकते हैं। आबादी का घनत्व और संसाधनों की उपलब्धता आज बढ़ रही है। मानव बस्तियों के निरंतर विस्तार के चलते वन क्षेत्र कम हो गये हैं जिससे पर्यावरण असंतुलित हो गया है। इसी असंतुलन के चलते जीव, जंतु और वनस्पति की कई प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। हम सभी आज पौध रोपित कर कल सुखद भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

मीडिया प्रभारी डॉ सुनील कुमार ने कहा कि मानव को अपना जीवन सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रकृति से सभी वस्तएं मिलती है। यह हमारा दायित्व बनता है कि हम पर्यावरण को सुरक्षित रखने में अपनी अहम भूमिका निभाएं।

डॉ दिग्विजय सिंह राठौर ने कहा कि अगर भावी पीढ़ी के लिए स्वच्छ पर्यावरण उपलब्ध कराना है तो हमें निरंतर पौधरोपण करना होगा। पौधरोपण कार्यक्रम में डॉ अवध बिहारी सिंह, श्यामा यादव, पंकज कुमार सिंह सहित लोग उपस्थित रहे।

इसके साथ ही विज्ञान संकाय की प्रोफेसर वंदना राय ने कहा कि हमें आवश्यकताओं को पूरा करते हुए प्रकृति संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत हैl हमें अनावश्यक रुप से संचयन की आदत से बचना चाहिए अगर ऐसा करते हैं तो हम दूसरे का हक मार रहे हैं ऐसी स्थिति में भारतीय संस्कृति के द्वारा दिए गए वसुधैव कुटुंबकम का ध्येय पूरा नहीं होता है और पूरे विश्व में वस्तुओं का अधिकाधिक संकलन क्लाइमेट चेंज एवं पर्यावरण के लिए घातक साबित हो रहा है।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो राजेश शर्मा ने छात्र एवं छात्राओं को संदेश देते हुए कहा कि जब हम प्रकृति पर अनाधिकृत रूप से कब्जा जमाते हैं तो प्रकृति उसको स्वतः बैलेंस करती है अतः सस्टेनेबल डेवलपमेंट एवं एनवायरमेंटल डेवलपमेंट की तरफ ध्यान देने की जरूरत है। इस अवसर पर आचार्य डॉ प्रदीप कुमार ने कहा कि जैव विविधता हमेशा प्रदूषण से नष्ट होती है जिससे और संतुलन स्थापित होता है अगर हम पौध संरक्षण करते हैं तो पारिस्थितिक का संतुलन बना रहेगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ विवेक कुमार पाण्डेय ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुधीर कुमार उपाध्याय ने किया।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…