आठ घंटे के सर्च ऑपरेशन के बाद मौत के सीवर में से निकाले चार शव…
नई दिल्ली, 30 मार्च। संजय गांधी ट्रांस्पोर्ट नगर इलाके में बीते मंगलवार शाम साढ़े छह बजे एमटीएनएल में ठेेकेदार के साथ काम करने वाले तीन कर्मचारियों और उनको बचाने के लिए आए ई रिक्शा चालक की सीवर में घूसने से मौत हो गई थी। पुलिस ने दमकल और एनडीआरएफ की टीम की सहायता से करीब तीन बजे चारों शवों को सीवर से काफी मशक्कत के बाद बाहर निकाला। बुधवार सुबह बाबू जगजीवन राम अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद सभी शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया।
पुलिस ने मृतकों के परिजनों के बयान के आधार पर लापरवाही का केस दर्ज किया है। पुलिस अब एमटीएनएल अधिकारियों से संपर्क कर मामले की जांच कर रही है। मृतकों की पहचान पिंटू,बच्चू सिंह,सतीश और सूरज के रूप में हुई है। सूरज ठेकेदार था जबकि सतीश ई रिक्शा चालक था। सतीश के परिवार वालों की सहायता के लिये कई लोग आए हैं,जो उनकी आर्थिक रूप से मदद करना चाहते हैं।
एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर गोवर्धन बैरवा ने बताया कि सर्च ऑपरेशन में काफी दिक्कतें सामने आई थी। सीवर के अंदर तारों का बड़ा जाल था। इसके अलावा उसमें पानी भी भरा हुआ था। मेनहोल करीब आठ से दस फुट गहरा था। इसमें टेलीफोन की केबल के अलावा कुछ अन्य केबल भी थीं। घंटों के ऑपरेशन के बाद चारों शवों को बाहर निकालकर अस्पताल भेजा गया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सीवर में काम करने वालों को जरूर ट्रैनिंग दी जानी चाहिए। साथ ही उनको सीवर में काम करने के लिये भेजने के वक्त सुरक्षा कवज भी जरूर देना चाहिए।
जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर खासतौर पर होना चाहिए। क्योंकि बंद सीवरों में हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, मीथेन, कार्बन मोनो-ऑक्साइड, सल्फर डाइ ऑक्साइड आदि गैसें बनती हैं। ये गैस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं। जिससे कर्मचारियों की दम घुटने से मौत हो जाती है। इसमें उन लोगों की जिम्मेदारी ज्यादा बन जाती है,जो कर्मचारियों से काम करवाते हैं। लेकिन लालच में वह उनको आशंकाओं को जानकार भी अंजान बनकर कर्मचारियों को मौत के सीवरों में काम करने के लिये भेज देते हैं।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…