जिगर के रोगी के लिए अमृत समान है सेब…
सेब दुनिया भर में व्यापक रूप से उगाया जाने वाला फल है। रोसासी परिवार के इस सदस्य को वैज्ञानिक भाषा में मालुस पूमिला लिनिअस कहते हैं। इसके पेड़ की ऊंचाई लगभग 15 मीटर होती है। कच्ची अवस्था में सेब हरे तथा स्वाद में खट्टे होते हैं पकने पर लाल-हरित आभा लिए मीठे और रसदार हो जाते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार सेब पित्तनाशक, वातनाशक, शीतल, भारी, पुष्टिकारक हृदय के लिए फायदेमंद, वीर्यवर्धक तथा मसाने एवं गुर्दों को साफ करना वाला है। इससे अनेक आयुर्वेदिक दवाइयां बनती हैं। इसमें सर्वाधिक मात्रा में फास्फोरस होता है। इसके अतिरिक्त इसमें आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम, शर्करा तथा बी समूह के विटामिन भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं। कार्बोहाइड्रेट का एक रूप पेक्टीन भी इसमें खूब पाया जाता है। यह हृदय रोग में बहुत लाभकारी होता है।
पथरी रोगी के लिए सेब बहुत फायदेमंद होता है। रोगी को पूर्णतया पके हुए चार-पांच सेब प्रतिदिन खाने को देने चाहिए। भोजन में शाक-सब्जी व फल देने चाहिए। जिगर के रोगी के लिए तो सेब अमृत के समान है। उन्हें दिन में हर बार भोजन से पहले दो ताजा-मीठे सेब खाने चाहिए या सेब की चाय पीनी चाहिए।
मस्तिष्क की कमजोरी दूर करने के लिए सेब एक अचूक इलाज है। ऐसे रोगी को प्रतिदिन एक सेब खाने को दें। इसके अतिरिक्त रोगी को दोपहर तथा रात को भोजन में कच्चे सेबों की सब्जी दें। शाम को एक गिलास सेब का रस दें तथा रात को सोने से पूर्व एक पका मीठा सेब खिलाएं। इससे एक महीने में ही रोगी की दशा में सुधार आने लगता है।
जिन लोगों की आंखें कमजोर हैं उन्हें एक ताजा सेब की पुल्टिस कुछ दिनों तक आंखों पर बांधनी चाहिए। यदि भोजन के साथ प्रतिदिन ताजा मक्खन तथा मीठा सेब खाएं तो नेत्र ज्योति तो तेज होती ही है साथ ही दस्त व पेशाब खुलकर आता है तथा चेहरा सुर्ख हो जाता है।
बुखार में रोगी को प्यास, जलन, थकान तथा बेचैनी हो तो सेब की चाय या ताजा सेब का रस पिलाना चाहिए। इससे रोगी को तुरंत आराम मिलता है। गले में घाव, छाले हों या किसी भी चीज को निगलने में कष्ट होता हो तो अच्छे ताजे सेब का रस निकालें फिर चम्मच से धीरे-धीरे रस गले तक ले जाएं और कुछ समय के लिए गले में रोककर रखें। इससे आश्चर्यजनक लाभ होता है।
पेट में गैस की शिकायत रहती हो तो एक मीठे सेब में लगभग 10 ग्राम लौंग चुभाकर रख दें। दस दिन बाद लौंग निकालकर तीन लौंग तथा एक मीठा सेब नियमित रूप से खाएं। इस दौरान चावल या उससे बनी चीजें रोगी को खाने को न दें।
पेट के कीड़ों के निदान के लिए रोगी को प्रतिदिन दो मीठे सेब दें या प्रतिदिन एक गिलास ताजा सेब का रस दें। इससे कीड़े मर जाते हैं और मल के रास्ते निकल जाते हैं। कब्ज दूर करने के लिए प्रतिदिन सुबह उठकर खाली पेट दो सेब चबा चबाकर खाएं। इससे अग्निमांद्य दूर होता है और भूख भी बढ़ जाती है।
दिल कमजोर हो या दिल की धड़कन कम या ज्यादा हो तो चांदी का वर्क लगाकर सेब के मुरब्बे का सेवन करना चाहिए। इससे मोटापा भी दूर होता है। अनिद्रा के उपचार में भी सेब बहुत उपयोगी है। नींद न आती हो या एक-दो बजे नींद खुलने पर दुबारा नींद न आती हो तो रोगी को सोने से पहले एक मीठे सेब का मुरब्बा खिलाइये तथा ऊपर से गुनगुना दूध पीने को दें। इससे अच्छी नींद आएगी। सेब की जड़ की छाल, प्रशीतक तथा आंत्र-कृमिहर है। छाल का फांट बारी के पैत्रिक बुखारों में लाभकारी होता है।
बिच्छू का विष उतारने के लिए सेब के ताजा रस में आधा ग्राम कपूर मिलाकर आधे-आधे घंटे बाद पिलाना चाहिए। पके सेब के एक गिलास रस में मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से पीने से पुरानी से पुरानी खांसी भी ठीक हो जाती है। जिन्हें सिरदर्द चिड़चिड़ापन, बेहोशी, उन्माद या भूलने की शिकायत हो उन्हें भोजन से पहले दो ताजा मीठे सेबों का सेवन करना चाहिए। ऐसे रोगी को साधारण चाय-कॉफी छोड़कर केवल सेब की चाय ही पीनी चाहिए।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…