अपराधियों की जानकारी जुटाने के लिये तकनीक के उपयोग की अनुमति देने वाला विधेयक लोकसभा में होगा पेश…
नई दिल्ली। सरकार सोमवार को लोकसभा में दंड प्रक्रिया पहचान विधेयक पेश कर सकती है जिसमें किसी अपराध के मामले में गिरफ्तार और दोषसिद्ध अपराधियों का रिकार्ड रखने के लिये अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के उपयोग की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।
लोकसभा की कार्यसूची के अनुसार, यह विधेयक सोमवार को निचले सदन में पेश किये जाने के लिये सूचीबद्ध है। इस विधेयक को हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी।
प्रस्तावित विधेयक के माध्यम से वर्ष 1920 के कैदियों की पहचान संबंधी कानून को बदलने का प्रस्ताव किया गया है। औपनिवेशिक ब्रिटिश काल के वर्तमान कानून में उन दोष सिद्ध अपराधियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों के शरीर के सीमित स्तर पर माप की अनुमति दी गई है जिसमें एक वर्ष या उससे अधिक सश्रम कारावास का प्रावधान होता है।
सूत्रों के अनुसार, मसौदा विधेयक में दोषियों और अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की अनुमति देने की बात कही गई है जिसमें अंगुली एवं हथेली की छाप या प्रिंट, पैरों की छाप, फोटो, आंखों की पुतली, रेटिना, लिखावट के नमूने आदि शामिल हैं।
सरकार का मानना है कि अधिक से अधिक ब्यौरा मिलने से दोष सिद्धि दर में वृद्धि होगी और जांचकर्ताओं को अपराधियों को पकड़ने में सुविधा होगी।
इसके अतिरिक्त लोकसभा में ‘संविधान अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों आदेश दूसरा संशोधन विधेयक 2022’ पेश किया जाएगा। यह विधेयक भी सोमवार को निचले सदन में पेश किये जाने के लिये सूचीबद्ध है।
इस विधेयक में संविधान अनुसूचित जातियां आदेश 1950 और संविधान अनुसूचित जातियां उत्तर प्रदेश आदेश 1967 का और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है
निचले सदन में संविधान अनुसूचित जनजातियां आदेश संशोधन विधेयक 2022 भी पेश करने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। इसमें त्रिपुरा राज्य के संबंध में अनुसूचित जनजातियों की सूची में कुछ समुदायों को शामिल करने के लिए संविधान अनुसूचित जनजातियां आदेश 1950 का और संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…