गैजेट्स से चलती युवा जिन्दगी…

गैजेट्स से चलती युवा जिन्दगी…

दसवीं व 12वीं की पढ़ाई कर रहे युवाओं को परिवार की सख्ती के चलते कुछ घंटे ही मोबाइल पर बात करने की अनुमति मिलती है, जिसमें से वे कुछ घंटों के लिए ही सही सोशल नेटवर्किंग साइट और एसएमएस के जरिए अपने दोस्तों व रिश्तेदारों से संपर्क साध ही लेते हैं। अधिकांश व्यक्ति गैजेट पर निर्भरता को 70 प्रतिशत अपनीजरूरत व 30 प्रतिशत शौक मानते हैं। पहले जहां कम्बाइंड स्टडी साथ में बैठकर की जाती थी वहीं आज वीडियो कैम व फोन में कॉनफ्रेंसिंग केजरिये अपने-अपने घर पर बैठे बिठाए कम्बाइंड स्टडी भी हो जाती है और पैरेंट्स भी खुश हो जाते हैं कि बच्चा घर पर ही बैठकर पढ़ाई कर रहा है।

इसके माध्यम से हम इंटरनेट के रूप में फिर मशीन के किसी न किसी तार से जुड़ ही जाते हैं। आज गैजेट ने हमारी जीवन शैली में इस कदर अपनी छाप बना ली है कि उसके बिना जिंदगी का कोई काम कर पाना नामुमकिन- सा लगने लगता है। जैसे खाने में नमक की जगह होती है, नमक के बिना स्वादिष्ट से स्वादिष्ट खाना भी बेस्वाद और बेकार लगता है उसी तरह आज इन गैजेट्स की जगह हमारे जीवन में हो गई है। इसके बिना हर काम दोगुना भारी और कठिन लगने लगता है। इनसे हर काम सरल और जल्द हो जाता है, साथ ही इससे समय की बचत भी होती है।

पहले जहां एक फोन करने के लिए लोगों को कोसों दूर जाना पड़ता था वहीं अब सिर्फ ये दूरियां कम ही नहीं हुई हैं बल्कि सुबह जागने के लिए मोबाइल का अलार्म, पल-पल की अपडेट के लिए एसएमएस, सफर में टाइमपास के लिए आईपॉड व वीडियोगेम, डाटा सेव करने के लिए पैनड्राइव यादगार पलों को सहेजने के लिए कैमरा, दफ्तर के काम के लिए कम्प्यूटर और घूमते-फिरते वीडियोचैट, मूवी और अन्य कार्यों के लिए लैपटॉप आदि मशीनों ने तो जैसे हमारे लाइफ स्टाइल को बदल ही दिया है। इसके बाद दोस्तों से जुड़े रहने की रही-सही कसर फेसबुक, ट्विटर, ऑरकुट जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने पूरी कर दी है।

मोबाइल से सब आसान:- गैजेट ने जिंदगी को बड़ा ही आसान बना दिया है। हर वक्त हमारे पास कॉपी, पैन नहीं होता है। ऐसे में मोबाइल नोट्स लिखने के लिए पेपर का काम करता है। वहीं दिमागी काम के लिए फोन मेमोरी में जन्मदिन, शादी की सालगिरह आदि विशेष तारीखों को सेव कर लिया जाता है। इसके लिए इंटरनेट, एसएमएस आदि सुविधाओं के लिए वह प्रतिमाह लगभग ढाई से तीन हजार रुपए खर्च होते हैं। गैजेट ने हमें प्र-ति से दूर कर दिया है। आज के युग में गैजेट के बगैर हमारा जीवन ही नहीं चल सकता है।

चुटकी बजाते ही हाजिर:- दोस्तों व परिवारजनों से दूर रहने पर सोशल नेटवर्किंग साइट ही आपका एक ऐसा सहारा होती है, जो आपको अपने स्नेहीजनों से जोड़े रखती है। अब वो दिन गए जब अपने प्रियजनों से मिलने के लिए सालों का इंतजार करना पड़ता था। लेकिन अब चुटकी बजाते ही, बटन दबाते ही हम एक-दूसरे से बात क्या देख भी सकते है। 16 साल की उम्र से मोबाइल का उपयोग करने वाले युवाओं के पास आज गैजेट में पीएसपी, आईपॉड, मोबाइल, लैपटाप आदि सब कुछ है। मोबाइल व इंटरनेट पर प्रतिमाह लगभग 1000 रुपए से भी अधिक खर्च करने वाले युवाओं का मानना है कि दोस्तों से मेल-जोल को बढ़ाने के लिए इंटरनेट एक बेहतर माध्यम है। साथ ही आज यह एक फैशन ट्रेंड बनता जा रहा है जिससे जुड़े रहना आज मार्केट में किसी वस्तु की डिमांड की तरह हो गया है। चूंकि आज हर कोई फोन नम्बर मांगने से पहले यह पूछता है कि फेसबुक पर एकाउंट है न? इसलिए आज सोशल साइट से जुडऩे का मतलब है समाज से जुड़े रहना।

सेहत के लिए ठीक नहीं:- देखा जाए तो लगातार टीवी, लैपटॉप, कम्प्यूटर, मोबाइल, वीडियोगेम आदि के संपर्क में रहने से आपको कई शारीरिक व मानसिक बीमारियां हो सकती हैं। मोबाइल हैंड्स फ्री व म्यूजिक सिस्टम पर अधिक समय तक गाने सुनने व मोबाइल पर कई घंटों तक बतियाने से आपकी श्रवण शक्ति प्रभावित होती है। मोबाइल काजरूरत से अधिक प्रयोग जहां रेडियो फ्रिक्वेंसी के रूप में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को न्योता देता है।

वहीं कम्प्यूटर व लैपटॉप पर कई घंटों तक काम करते रहने से आपको सरवाइकल, कमर दर्द, आंखों में कमजोरी, सिरदर्द, अनिद्रा, इनफर्टिलिटी जैसी गंभीर समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। किसी ने सच ही कहा है कि जो दिखता है, वही बिकता है। यह चीजों हमें उपयोगी और देखने में इतनी खूबसूरत लगती हैं कि हम उसके अवगुणों को नजरंदाज कर उसको खरीने और उपयोग करने में लग जाते हैं। मगर हर खूबसूरत चीज जितनी खूबसूरत होती है उतनी ही खतरनाक, इसलिए किसी भी चीज का इस्तेमाल अगर सतर्कता से किया जाए तो ही हमें उससे बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद रहती है न की कैसे भी उपयोग करते रहने से। किसी भी गैजेट से जुडऩे से पहले सावधानियां अवश्य बरतने कीजरूरत होती है क्योंकि वे आपके और आपके अपनों के लिए घातक साबित हो सकता है।

इन बातों का ध्यान रखते हुए गैजेट्स का उपयोग करें:-

-इसके लिए आपको सबसे पहले तो किसी भी गैजेट को सिर्फ किसी वस्तु की तरह ही उपयोग करना होगा न कि उसेजरूरत की चीज समझकर अपने दिलो-दिमाग से जोडऩा होगा।

-सोशल साइट का सावधानी से इस्तेमाल करें। उसी को अपना दोस्त बनाएं जो पहले से अपने किसी दोस्त का दोस्त हो या फिर अच्छे से छानबीन करके ही दोस्ती स्वीकारें।

-लगातार टीवी, लैपटॉप, कम्प्यूटर, मोबाइल, वीडियोगेम आदि के संपर्क में रहने से आपको कई शारीरिक व मानसिक बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए इन सबका उतना ही उपयोग करें जितनाजरूरी हो।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…