छत्तीसगढ़ में जनजातीय वर्ग को उद्यामिता से आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम…
रायपुर, 10 दिसंबर। छत्तीसगढ़ जनजातीय बाहुल्य प्रदेशों में से है, यहां जनजातीय वर्ग के लोगों को उद्यामिता के जरिए आत्म निर्भर बनाने की मुहिम का आगाज हुआ है। इसके लिए भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई) अहमदाबाद आईआईआईटी रायपुर और गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के साथ करार किया है।
ईडीआईआई के महानिदेशक डॉ सुनील शुक्ल ने बताया है कि भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई) अहमदाबाद भारत सरकार के कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय से उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह संस्थान शिक्षा, अनुसंधान, प्रशिक्षण, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देने के क्षेत्र में एक नेशनल रिसोर्स आर्गेनाइजेशन है।
ईडीआईआई पिछले चार वर्षों से स्टार्टअप विलेज एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (एसवीईपी) के लिए छत्तीसगढ़ में एसआरएलएम के साथ काम कर रहा है। ईडीआईआई द्वारा छत्तीसगढ़ के चार आवंटित ब्लॉकों में 8000 से अधिक आजीविका उद्यमों को बढ़ावा दिया है। जिनमे आदिवासी और महिला उद्यमियों की बहुलता है।
ईडीआईआई ने इस इलाके में उद्यमिता शिक्षा, अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक संस्थानों, सरकार और उद्योग के बीच परस्पर निर्भरता और सहयोग का माहौल तैयार किया करने की पहल की है, ताकि यहां के एमएसएमई क्षेत्र को सहायता प्रदान की जा सके, जिसका मुख्य उद्देश्य विशेष रूप से महिलाओं, विकलांगों, छात्रों, कारीगरों, कृषकों और ट्रांसजेंडरों का उत्थान है।
ईडीआईआई के महानिदेशक डॉ शुक्ल ने कहा, छत्तीसगढ़ एक संसाधन संपन्न राज्य है और जिसमे लॉजिस्टिक्स, रत्न एवं आभूषण, खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा, दवा, आवश्यक तेल, जैव ईंधन, कृषि आदि के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। यह संस्थान लगभग चार दशकों के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अनुभव के साथ, आदिवासी और ग्रामीण आबादी के जीवन में बदलाव लाने के लिए कार्यरत है।
उन्होंने आगे बताया है कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध वनस्पतियों और जीवों, पारंपरिक कला, शिल्प, कपड़ा और संस्कृति, विशेष रूप से दूरस्थ और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ईडीआईआई, क्लस्टर विकास में कई वर्षों के अनुभव और तकनीकी विशेषज्ञता के साथ काम कर रहा है। इस उद्देश्य से राज्य सरकार, उद्योग और अन्य सहायता संस्थानों के साथ और अधिक सक्रियता से काम करने हेतु तत्पर है।
संस्थान के प्रोफेसर डॉ. अमित द्विवेदी ने बताया है कि आईआईआईटी रायपुर और गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर के साथ हुए करार का मकसद सिर्फ संस्थानों के कैम्पस के भीतर ही उद्यामिता का माहौल विकसित करना नहीं है, बल्कि आसपास के इलाके में भी उद्यमिता से आत्मनिर्भर बनाना भी है। यह इलाका कला, संस्कृति, औषधि, कृषि से भरपूर है और यह लोगों केा आत्मनिर्भर बना सकता है, इस दिशा में मिलकर प्रयास होंगे।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट