अब कांग्रेस ने पार्टी में शामिल हुए व्यापमं घोटाले के आरोपी

कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को इंदौर में पूर्व भाजपा नेता डॉ. गुलाब सिंह किरार का बाहें फैलाकर पार्टी में स्वागत किया था। इस मौके पर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे शीर्ष नेता भी मौजूद थे। लेकिन एक दिन बाद पार्टी इस मामले से पल्ला झाड़ती नजर आई जब उसे यह याद आया कि किरार उन नेताओं में से एक हैं जिन्हें तीन साल पहले व्यापमं घोटाले में कथित तौर पर शामिल होने के लिए उन्होंने निशाना बनाया था।

अगले महीने मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी अब इससे किनारा करने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से उस संदेश को हटा दिया है जिसमें उन्होंने किरार के पार्टी में स्वागत किया था। साथ ही पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता ने किरार के पार्टी में शामिल होने से भी इनकार किया है। लेकिन पार्टी के भीतर मौजूद कंफ्यूजन (भ्रम) को बढ़ाते हुए प्रदेश कांग्रेस महासचिव ने यह स्वीकार किया कि यह वास्तव में हुआ था।

हालांकि किरार ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने कहा, “वे जो भी दावा करें, इसके बावजूद मैं कांग्रेस के लिए काम करूंगा क्योंकि मैं इसका सदस्य हूं।”

इस बीच सत्तारूढ़ भाजपा अपनी खुशी को छिपा नहीं पा रही है। पार्टी के प्रवक्ता राकेश शर्मा ने कहा, “इस प्रकरण ने कांग्रेस को बेनकाब कर किया है क्योंकि प्रचार पाने के अपनी हताशा में, इसने विवादास्पद अतीत के लोगों को भी पार्टी में शामिल कर लिया है।”

किरार मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण आयोग के पूर्व सदस्य हैं। उन्हें शिवराज सिंह चौहान की सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा हासिल था। तीन साल पहले जब सीबीआई ने व्यापाम घोटाले से जुड़े एफआईआर में उनका नाम दर्ज किया तो भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया।

सीबीआई ने 2011 में किरार और उनके बेटे पर मेडिकल में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा में कथित अनियमितताओं में शामिल होने का आरोप लगाया था।

डॉ. गुलाब सिंह किरार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी करीबी माना जाता है। दिग्विजय सिंह सहित कांग्रेस के कई बड़े नेता गुलाब सिंह किरार को लेकर शिवराज पर आरोप लगाते रहे हैं।

व्यापाम घोटाले के आरोपी किरार ऐसे थे शिवराज के करीबी!

बताया जाता है कि गुलाब सिंह को शिवराज का पूरा संरक्षण हासिल था। उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी लक्ष्मीकांत शर्मा तो गिरफ्तार हुए, लेकिन गुलाब सिंह के खिलाफ वॉरंट निकलने के बाद भी वे मुख्यमंत्री के साथ अपने समुदाय के कार्यक्रमों में शामिल होते रहे।

2015 में किरार कांग्रेस के निशाने पर तब आए थे जब व्यापमं घोटाले में एफआईआर दर्ज होने के बाद भी राइसेन में ओबीसी समुदाय के समारोह में शिवराज ने उनके साथ मंच साझा किया था। उस समय विपक्ष ने घोटाले के आरोपी के साथ नजदीकी संबंध पर मुख्यमंत्री की कड़ी आलोचना की थी।

इंडियन एक्सप्रेस की खबरों के मुताबिक किरार के पार्टी में शामिल होने पर पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने कहा, “किसी ऐसे व्यक्ति को निकालने का कोई सवाल ही नहीं उठता जिसको हमने कभी शामिल किया ही नहीं। वह आधिकारिक तौर पर कांग्रेस में शामिल नहीं हुए थे। वह लोगों से मिलने के लिए वहां (इंदौर में) थे। वरिष्ठ नेताओं के आस-पास होने वाले हर किसी पर नजर रखना मुश्किल होता है।”

लेकिन प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष और महासचिव (संगठन) चंद्रप्रभास शेखर का कुछ और ही कहना है। उन्होंने कहा, “डॉ. किरार को मंगलवार को इंदौर में आधिकारिक तौर पर पार्टी के शामिल कराया गया था।” रिपोर्ट में लिखा है कि लेकिन जब उन्हें यह बताया गया कि उनकी पार्टी प्रवक्ता ने इस कदम से इंकार कर दिया था, तो शेखर ने कहा, “मुझे इस पर शीर्ष नेतृत्व से कोई निर्देश नहीं मिला है।”