दिल्ली विश्वविद्यालय में निजीकरण का साम्राज्य स्थापित करने के लिए केजरीवाल सरकार और मोदी सरकार में मची होड़…
पिछले 2 सालों से अध्यापकों एवं कर्मचारियों की सैलरी पर कुंडली मारकर बैठी सरकार – डॉ. अनिल कुमार मीणा…
नई दिल्ली:- दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज में शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है। नहीं पिछले छह महीनों से उनके COVID और डेंगू के मेडिकल बिलों की प्रतिपूर्ति नहीं की जा रही है। यह अनियमित भुगतान प्रक्रिया दो साल से अधिक समय से जारी है। दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस रिसर्च विभाग के प्रभारी डॉ अनिल कुमार मीणा ने बताया कि 12 कॉलेज जो कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित है उन पर केजरीवाल सरकार सैलरी कुंडली मारकर बैठी हुई है | नई शिक्षा नीति के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय में निजीकरण का साम्राज्य स्थापित करने के लिए दिल्ली सरकार एवं केंद्र सरकार में होड़ मची हुई है | Ad hoc अध्यापक समायोजन को लेकर पिछले सैकड़ों दिनों तक सड़कों से वाइस चांसलर ऑफिस एवं शिक्षा मंत्रालय तक तक आंदोलन जारी रखा लेकिन सरकार निजीकरण के साम्राज्य से निकलने के लिए तैयार नहीं है | AAD के चेयरमैन आदित्य नारायण मिश्रा ने भी दिल्ली यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के नेतृत्व में अध्यापकों एवं कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर कई बार उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन न करने, कक्षाओं का बहिष्कार और दिल्ली सरकार के खिलाफ एक चौतरफा अभियान शुरू किया| नई शिक्षा नीति का असर धीरे-धीरे दिखने लगा है| अध्यापकों एवं कर्मचारियों की सैलरी को रोकने का प्रकरण विश्वविद्यालयों को कॉर्पोरेट करेगा। नई शिक्षा नीति का उद्देश्य देश के कई विश्वविद्यालयों का पूर्ण निजीकरण करना है| दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यापक एवं कर्मचारी पिछले 2 दिनों से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं |
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…