विद्युत सचिव ने आपूर्ति संकट से निपटने के लिए रणनीतिक ईंधन भंडार की जरूरत पर जोर दिया…
नई दिल्ली, 21 अक्टूबर । केंद्रीय विद्युत सचिव आलोक कुमार ने बृहस्पतिवार को विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी की पृष्ठभूमि में कम से कम एक महीने के लिए देश को आपूर्ति संकट से बचाने की खातिर रणनीतिक ईंधन भंडार के निर्माण की जरूरत पर जोर दिया।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित दक्षिण एशिया विद्युत सम्मेलन ‘मूविंग टुवर्ड्स सस्टेनेबल एनर्जी सिक्योरिटी’ में कुमार ने कहा कि देश में कोयले के इस संकट का मुख्य कारण कोयले, विशेष रूप से आयातित कोयले की ऊंची कीमत है।
देश में विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी को देखते हुए ये टिप्पणियां महत्व रखती हैं।
कुमार ने कहा, “हम खबरों में कोयले की बहुत अधिक कीमतों के कारण (विद्युत) आपूर्ति में व्यवधान के बारे में पढ़ रहे हैं … मैं कोयले, गैस और तेल की बहुत अधिक कीमत और आपूर्ति में व्यवधान के बारे में बात कर रहा था जो कि चीन, सिंगापुर, यूके, यूरोप हर जगह हो सकता है।”
उन्होंने कहा कि कम से कम दस वर्षों या उससे अधिक समय तक सभी देश, विशेष रूप से प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं, बेस लोड और ग्रिड संतुलन के लिए जीवाश्म ईंधन की आपूर्ति पर निर्भर होंगी।
सचिव कहा, “हम आयातित ईंधन के इन आपूर्ति झटकों से खुद को कभी भी अलग नहीं कर पाएंगे। हमारे पास आयातित कोयले पर आधारित 17,000 मेगावाट क्षमता है और अगर आयातित कोयले की कीमतें अधिक हो जाती हैं … वह क्षमता समाप्त हो जाती है। भारत में 24,000 मेगावाट क्षमता के गैस संचालित विद्युत संयंत्र हैं। वे भी व्यावहारिक रूप से बाहर हैं। इसलिए, ऊंची कीमतें ऊर्जा सुरक्षा को बहुत चुनौतीपूर्ण बना देंगी, इसलिए हमें एक सुविचारित रणनीति का निर्माण करने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, “आइए, हम इन ईंधनों (कोयला, गैस, तेल) के रणनीतिक भंडार को बनाए रखने के बारे में सोचना शुरू करें ताकि अर्थव्यवस्थाएं लगभग एक या दो महीने के लिए आपूर्ति की कमी को समायोजित कर सकें और उनसे पार पा सकें।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…