आर्मी मेजर बताकर महिला से बनाया संबंध, कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार

आर्मी मेजर बताकर महिला से बनाया संबंध, कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से इनकार किया है, जिसने वैवाहिक साइट पर खुद को भारतीय सेना का मेजर बताया था और उस पर शादी के वादे के बाद एक महिला के साथ यौन संबंध बनाने का आरोप लगा है. इस मामले पर सुनवाई करते हुए सिंगल बेंच की जस्टिस अनु मल्होत्रा ने यह आदेश दिया है.

कोर्ट का विचार था कि आरोपी सेना में काम नहीं कर रहा था और उसने पीड़िता को यौन संबंध बनाने के लिए धोखा दिया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि पहली नजर में आरोपी स्पष्टर रूप से भारतीय सेना में मेजर के रूप में काम नहीं कर रहा था और उसने पीड़िता के साथ संबंध बनाने के लिए ठगा है. इसलिए आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका को अस्वीकार किया जाता है.

आरोपी की ओर से पेश वकील मो. मोहसिन राजा ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया है. मोहसिन राजा ने कहा कि आवेदक और आरोपी के बीच संबंध पूरी तरह से सहमति से थे और उनके बीच मौद्रिक लेनदेन भी हुआ था.

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इस पर अतिरिक्त लोक अभियोजक आशा तिवारी ने इस आधार पर अग्रिम जमानत देने का विरोध किया कि स्थिति रिपोर्ट और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान शिकायतकर्ता द्वारा उठाए गए तर्कों का समर्थन करता है कि आरोपी द्वारा पीड़िता के साथ रेप किया गया था. साथ ही आरोपी ने पीड़िता के परिवार के सदस्यों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी भी की थी.

पीड़िता ने कोर्ट में बताया कि वैवाहिक साइट पर जुड़ने के बाद आरोपी ने उसे धोखा दिया. सेना में मेजर के रूप में तैनात होने के बारे में उसके द्वारा दिए गए सभी विवरण झूठे थे और जांच से पता चला कि वह पहले से ही शादीशुदा था.

इसके अलावा, पीड़िता का आरोप है कि आरोपी ने धमकी दी थी कि वह उसे बदनाम करने के लिए उसकी फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा,पीड़िता ने बताया कि आरोपी ने उसकी फोटो उसकी सहमति के बिना क्लिक की थीं।

अतिरिक्त लोक अभियोजक ने कोर्ट को बताया कि उसने भारतीय सेना को पत्र भेजकर आरोपी द्वारा किए गए कृत्य को बताया था. इसके जवाब में आरोपी के वकील ने तर्क दिया कि उसका मुवक्किल सीआरपीएफ में काम कर रहा था. बाद में उसने नौकरी छोड़कर निजी कंपनी ज्वाइन की. अदालत ने आरोपी के अपराध को प्रथम दृष्टया देखने के बाद अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।

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