एएसयू औषधि निर्माताओं को लाइसेंस देने की प्रक्रिया कागज रहित, पारदर्शी बनायी : आयुष मंत्रालय
नई दिल्ली। आयुष मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी (एएसयू) औषधियां बनाने के लिए लाइसेंस देने की प्रक्रिया, आवेदन प्रणाली को ऑनलाइन बनाकर त्वरित, कागज रहित और अधिक पारदर्शी बना दी गयी है। उसने एक बयान में कहा कि दवा निर्माताओं को अब लाइसेंसिंग प्राधिकरण के कार्यालय में मौजूद रहने की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी
और वे ऑनलाइन लाइसेंस के लिए आवेदन दे सकते हैं। आयुष मंत्रालय ने एक गजट आदेश पारित करते हुए औषधि (चौथा संशोधन), नियम 2021 का एक अक्टूबर 2021 से क्रियान्वयन अधिसूचित किया है। बयान में कहा गया है कि एएसयू औषधियों के लिए एक बार पंजीकरण शुल्क लगेगा, उत्पाद का लाइसेंस जीवनभर के लिए वैध रहेगा और उसके लिए हर साल स्वत:
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अनुपालन घोषणापत्र ऑनलाइन भरना होगा वरना लाइसेंस निलंबित या रद्द हो जाएगा। इसमें कहा गया है कि अधिसूचना से पहले इसकी पांच साल की अवधि के लिए वैधता थी। इसमें कहा गया है कि आवेदकों को अपना लाइसेंस जारी रखने के लिए प्रत्येक पांच वर्षों में उत्कृष्ट उत्पादन कार्य प्रणाली (जीएमपी) प्रमाणपत्र लेना होगा। एएसयू औषधि की उत्पादन इकाई का प्रत्येक पांच साल में औचक निरीक्षण किया जाएगा।बयान में कहा गया है कि चूंकि लाइसेंस की वैधता बढ़ा दी गयी है तो
लाइसेंस शुल्क भी किसी भी जेनरिक एएसयू औषधि के लिए 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये और 10 ट्रेडमार्क युक्त एएसयू औषधि के लिए बढ़ाकर 3,000 रुपये तक दिया गया है। मंत्रालय ने लाइसेंस देने में अधिकतम समय तीन महीने से घटाकर दो महीने कर दिया है। गजट अधिसूचना की तारीख से छह महीनों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होने तक एक साथ चलेगी।
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