शीत गृह में भंडारित आलू में डूब रही किसानों की लागत, गर्दिश में अन्नदाता

शीत गृह में भंडारित आलू में डूब रही किसानों की लागत, गर्दिश में अन्नदाता

फर्रुखाबाद, 19 सितंबर। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में आलू किसानों का बेड़ा गर्क हो गया है।शीत गृह में भंडारित आलू के भाव गिरने से किसानों का लागत का पैसा डूब रहा है, जिसको लेकर किसान परेशान है। यहां आलू की निकासी कम होने और भाव गिरने से समझा जा रहा है कि इस बार 15 फ़ीसदी आलू मंदी के चलते किसान शीतगृहों में ही छोड़ देंगे, जिसे शीत गृह मालिकों को अपने पैसे से फिकवाना पड़ेगा। हालात यह है कि मौजूदा समय में आलू किसानों को 100 रुपये प्रति पैकेट मिल रहा है। जो कि किसानों को घाटे का सौदा साबित हो रहा है। प्रगतिशील किसान नारद सिंह कश्यप का कहना है कि इस

बार आलू की निकासी ना के बराबर हो रही है, जिसकी खास बजह है कि आलू के दाम पूरी तरह से गिर गए है। मौजूदा समय में 300 रुपये प्रति पैकेट आलू बिक रहा है, जबकि 200 रुपये शीत गृह मालिक को किराए का देना पड़ रहा है। किसान को मात्र 100 रुपये पैकेट मिल रहा है, जो कि लागत से काफी कम है। किसान नारद सिंह का कहना है की एक बीघा खेत में आलू तैयार करने पर 16 हजार रुपये लागत आती है। एक बीघा खेत में 50 पैकेट आलू पैदा होता है। इस तरह से 5 हजार प्रति बीघा के हिसाब से किसानों को दाम मिल रहे हैं और 11हजार रुपये प्रति बीघा किसानों की जेब से लागत का पैसा जा रहा है। बताते चलें

कि यहां 40हजार हेक्टेयर भूमि पर आलू पैदा किया गया था, जिसमें 12लाख मेट्रिक टन आलू की शुद्ध पैदावार हुई। छह लाख मैट्रिक टन आलू किसानों ने फसल खोदने के बाद बेच दिया और छह लाख मेट्रिक टन आलू को जिले के 80 शीतगृहों में भंडारित कर दिया। स्वामी रामाधार शीत गृह जहानगंज के स्वामी मनोज कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि अब तक केवल 35 फीसदी निकासी हो सकी है, जबकि गत वर्ष इस अवधि तक 50 फीसदी से अधिक निकासी हो चुकी थी।उनका कहना है कि आलू बुआई में निकासी के बाद भी 15 फीसदी आलू फिर भी शीत गृहो में बच जाएगा।भाव न मिलने की वजह से किसान अपना

आलू शीत गृहों में ही छोड़ देगा, जिसकी वजह से शीत गृह मालिकों को भी अपने पैसे से आलू फिकवां ना होगा। इस बार शीतगृह मालिकों और आलू किसानों को आलू की खेती में नुकसान हो रहा है। आलू आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष रिंकू वर्मा बताते हैं कि आलू की मांग न होने की वजह से बाहर का व्यापारी नहीं आ रहा है, जिससे आलू किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। इस संबंध में जिला आलू विकास निरीक्षक रामनाथ वर्मा का कहना है कि किसानों को जो भाव मिले उस में आलू बेच देना चाहिए।आलू के भाव में उछाल आने की कोई संभावना नहीं है।

”हिन्द वतन” समाचार की रिपोर्ट