पून्ने राम ने प्राकृतिक खेती से लिखी सफलता की नई कहानी
मंडी, 19 सितंबर। ‘प्राकृतिक खेती अच्छी फसल की गारंटी तो है ही, चोखा मुनाफा पाने का भी कारगर उपाय है, इसे अपनाने से जीवन में खुशहाली आ गई है ।’ यह कहना है मंडी जिला की ग्राम पंचायत नगवाईं गांव के किसान पून्ने राम का। पून्ने राम ने प्राकृतिक खेती अपनाकर इलाके में सफलता की नई कहानी लिखी है। वे प्राकृतिक खेती से न सिर्फ अपनी कृषि लागत को डेढ़ लाख से घटा कर तीन हजार रूपये तक ले आए हैं, बल्कि रासायनिक खेती के मुकाबले कुल आय को साढे़ चार लाख रुपये से छ लाख रुपये तक पहुंचाकर अन्य किसानों के सामने कृषि को मुनाफे का सौदा बना कर एक उम्दा मिसाल भी पेश की है।
पून्ने राम ने बताया कि उन्होंने 2018 में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण इस खेती विधि के जनक पदमश्री सुभाष पालेकर से प्राप्त किया था। इसके बाद उन्होंने इसे अपनी 10 बीघा जमीन में करना शुरू किया। पून्ने राम बताते हैं कि इस खेती विधि में देसी गाय का बहुत महत्व है, इसलिए उन्होंने योजना के तहत मिले अनुदान से साहीवाल नस्ल की एक गाय खरीदी और इस खेती विधि को बताए अनुसार करना शुरू कर दिया।
पून्ने राम का कहना है कि इस खेती विधि को अपनाने के बाद उनकी खेती की लागत कम होकर तीन हजार रुपये रह गई है जबकि पहले वे 50 हजार रुपये तक की दवाईयों और एक लाख रूपये के उर्वरकों की खरीद करते थे । इसके अलावा रासायनिक खेती से जहां उन्हें कुल सालाना आय साढे चार लाख रूपये थी वह अब बढ़कर छ लाख रूपये तक पहुंच गई है।
पून्ने राम के उत्कृष्ट प्राकृतिक खेती मॉडल को देखकर अब क्षेत्र के अन्य किसान भी उनसे प्राकृतिक खेती विधि के गुर सीख रहे हैं। वे अन्य किसानों को इस खेती विधि में प्रयोग होने वाले घटक जीवामृत, घन जीवामृत, अग्नि अस्त्र आदि के निर्माण और उनके प्रयोग के बारे में प्रशिक्षण तो देते ही हैं, साथ में यदि खेती में कोई दुविधा आती है तो उसका भी निवारण करते हैं।
आतमा के उप परियोजना निदेशक हितेंद्र ठाकुर बताते हैं कि जिन लोगों के पास देसी गाय है उनकी पशुशाला में फर्श डालने और गूंत्र व गोबर को एकत्र करने को चैंबर बनाने के लिए 8 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। जिन्हें जीवामृत अथवा घन जीवामृत बनाने व बेचने के लिए संसाधन भंडार बनाना हो उन्हें 10 हजार रुपए के अनुदान का प्रावधान है।
जिलाधीश अरिंदम चौधरी का कहना है कि मंडी जिले में प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। जहर मुक्त खेती से भयंकर बीमारियों से बचा जा सकता है साथ ही किसानों के खर्चों की बचत व मिश्रित खेती तथा अच्छी पैदावार से उनकी आमदनी दोगुनी करने में भी यह सहायक है।
”हिन्द वतन” समाचार की रिपोर्ट