नेशनल खेल चुकी ग्रामीण खिलाड़ियों को नहीं मिल रही सुविधा, ऐसे हमें ओलंपिक में कैसे मिलेगा मेडल

नेशनल खेल चुकी ग्रामीण खिलाड़ियों को नहीं मिल रही सुविधा, ऐसे हमें ओलंपिक में कैसे मिलेगा मेडल

भागलपुर, 04 सितंबर । टोक्यो ओलंपिक गेम के जैवलिन थ्रो प्रतिस्पर्धा में भारत के नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद से ग्रामीण क्षेत्र के खिलाड़ियों में कुछ कर गुजरने की तमन्ना फिर एक बार हिलोरें मार रही है लेकिन प्रशिक्षण और मूलभूत सुविधा की कमी इनके प्रतिभा को कुंठित कर रही है। कुछ ऐसी ही स्थिति जिले के घोघा जानीडीह गांव के लड़कियों की है। यहां की कई लड़कियां कबड्डी, वॉलीबॉल और कुश्ती में नेशनल तक खेल चुकी हैं लेकिन प्रशिक्षण और मूलभूत सुविधा के अभाव में आगे नहीं जा पा रही हैं। इन लड़कियों ने दिल्ली और चेन्नई जैसे महानगरों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हैं।

खेल के प्रति प्रशासन की उदासीनता इनकी प्रतिभा को कुंठित कर रही है।घोघा जानीडीह की लड़कियां अपने बलबूते पर कुश्ती और वॉलीबॉल में नेशनल तक खेलने जा चुकी हैं। कबड्डी और कुश्ती में नेशनल खेल चुकी आरती और कल्पना ने बताया कि हम लोग गांव में एक छोटे से मैदान में अभ्यास करते हैं। इस मैदान में लड़के भी खेलते हैं। लड़के हम लोगों पर कमेंट करते हैं। उन्होंने बताया कि हम लोग मिट्टी के मैदान में बिना किसी सुविधा के रोज अभ्यास करते हैं। हम लोगों के पास ना तो कोई प्रशिक्षक है और ना ही खेल सामग्री।

इसको लेकर हम लोगों ने जिला अधिकारी से मिलकर उन्हें एक आवेदन भी दिया है। आरती और कल्पना ने बताया कि गांव के बाहर जब हम लोग खेलने जाते हैं तो वहां मेट पर खेलना पड़ता है। मेट पर अभ्यास के अभाव में हम लोग आगे नहीं बढ़ पाते हैं। यदि हम लोगों को नेट, मेट, बॉल और प्रशिक्षक मिले तो हम लोग बहुत आगे तक जा सकते हैं।