*15,000 से कम कीमत वाले स्मार्टफोन मार्केट से हुए गायब*

*15,000 से कम कीमत वाले स्मार्टफोन मार्केट से हुए गायब*

*ओप्पो की फैक्टरी बंद होने से सप्लाई पर असर*

*ग्रेटर नोएडा* ग्राहक अब च्वाइस की तुलना में मॉडल्स की उपलब्धता के आधार पर खरीदारी कर रहे हैं,ओप्पो के कई कर्मचारी कोविड-19 संक्रमित पाए गए थे।इससे फैक्टरी को बंद करना पड़ा था।
ग्रेटर नोएडा स्थित ओप्पो की फैक्टरी का बंद होने के चलते चाइनीज हैंडसेट फर्म ओप्पो,रियलमी और वनप्लस स्मार्टफोन मार्केट में डिमांड को पूरा नहीं कर पा रही हैं।फैक्टरी शटडाउन के चलते ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों प्लेटफॉर्म में सप्लाई की शॉर्टेज हो गई है।बता दें कि भारत में वनप्लस और रियलमी के लिए ओप्पो कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर है।

*15000 से कम दाम वाले स्मार्टफोन्स बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं*

ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक,स्मार्टफोन मार्केट में ओप्पो और रियलमी के 15000 से कम दाम वाले स्मार्टफोन्स बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है।शटडाउन के चलते मैन्यूफैक्चरिंग पर प्रभाव पड़ा है इस वजह से सप्लाई में भारी कमी देखी जा रही है। फिलहाल यह समस्या ओप्पो,रियलमी, सैमसंग या शाओमी सभी ब्रैंड्स के साथ हैं।सैमसंग एम सीरीज भी स्टॉक से बाहर है।बता दें कि प्रीमियम स्मार्टफोन ब्रैंड वनप्लस ने पहले ही अपने लेटेस्ट फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स वनप्लस 8 और वनप्लस 8 प्रो की सेल पोस्टपोन कर दी है।
*ओप्पो के कर्मचारी कोरोना संक्रमित पाए गए थे*

बता दें कि ओप्पो के कई कर्मचारी कोविड-19 संक्रमित पाए गए थे जिसके चलते फैक्ट्री को बंद करना पड़ा था। ओप्पो इंडिया की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि हम सभी कर्मचारियों की सुरक्षा को सबसे आगे रखते हैं। हमने ग्रेटर नोएडा में मोबाइल फोन के विनिर्माण के सभी कार्यों को स्थगित कर दिया है। ऐसे में मैन्युफैक्चरिंग पर सीधा असर पड़ा है। रियलमी कंपनी की मानें तो मार्केट में मांग काफी बढ़ गई है, लेकिन सप्लाई चेन रुकी हुई है। इसलिए बाजार की मौजूदा मांग को पूरा करना कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण है।’ इन्वेंटरी शॉर्टेज पर रियलमी ने बताया कि हैंडसेट ब्रैंड देशभर के डिस्ट्रीब्यूशन पार्टनर्स के साथ बातचीत कर रहा है ताकि रिटेल स्टोर्स तक स्टॉक पहुंचाया जा सके।
*इस समय ग्राहक के पास नहीं है च्वाइस*
आईडीसी इंडिया की एसोसिएट रिसर्च मैनेजर उपासना जोशी का कहना है, ‘सप्लाई करने वाली फैक्ट्रियां या तो बंद हैं या उनमें पूरी तरह से काम नहीं हो रहा है, ब्रैंड्स को पुरानी इन्वेंटरी या ऐंड-टू-लाइफ (EoL) मॉडल को निकालना पड़ रहा है क्योंकि पिछले दो महीनों में मांग काफी बढ़ी है।’ग्राहक अब च्वाइस की तुलना में ब्रैंड्स और मॉडल्स की उपलब्धता के आधार पर खरीदारी कर रहे हैं।
*पत्रकार कबीर रिज़वान अली की रिपोर्ट*