*भोजन की तलाश में इंसानों की बस्ती में पहुंची गर्भवती हथिनी को मिली मौत*

*जब इंसान कोई जानवर को मारे. . . . .*

*भोजन की तलाश में इंसानों की बस्ती में पहुंची गर्भवती हथिनी को मिली मौत*

*नदी में पड़े हथिनी के शव को देखने के लिए जुटी भीड़* 👆

*विस्फोटक से भरा अनानास खिला देने से दर्द से कराहते हुए हथिनी ने नदी में दम तोड़ा*

*हथिनी की मौत से सोशल मीडिया में हा-हाकार: आईपीएस डी. रुपा ने कहा दोषियों को मिले सजा*

*लखनऊ/ तिरुअनंतपुरम।* अपने समय की राजेश खन्ना की मशहूर फिल्म “हाथी मेरे साथी” का गाना…जब इंसान कोई जानवर को मारे…बरवस ही याद आकर रुला गया जब केरल से बेहद ही दर्द भरी खबर आई कि एक गर्भवती हथिनी को इंसान के भेष में शैतानों ने विस्फोटक से भरा फल (अनानास) खिलाकर मौत की नींद सुला दिया। केरल में गर्भवती हथिनी को फल के नाम पर विस्फोटकों (पटाखे और अनार) से भरा हुआ अनानास खिलाने का मामला काफी सुर्खियों में है। लोग हथिनी की मौत से दुखी हैं और सोशल मीडिया के जरिए अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग अब तेज हो गई है।
इस मामले को लेकर आईपीएस डी. रूपा ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होने ट्वीट करते हुए लिखा है कि यह काफी दिल दहला देने वाला मामला है। डी. रुपा ने लिखा है कि पाइनएप्पल (अनानास) में पटाखे भर कर ये लोग क्या करना चाहते थे। दर्द से परेशान और भूखी होने पर भी हथिनी ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया और न ही कोई उत्पात मचाया। उन्होने कहा है कि मुझे उम्मीद है कि कानून अपना काम करेगा और दोषी को दंडित किया जाएगा। वन्य जीव अधिकारियों का कहना है कि मौत के कारण का पता लगाया जा रहा है, साथ ही पूरे मामले की जांच जारी है। बता दें इस दर्दनाक घटना को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मच गया है।
यह मामला सबके संज्ञान में तब आया जब केरल के एक वन्य अधिकारी ने भूखी गर्भवती हथिनी की मौत की जानकारी सोशल मीडिया पर पोस्ट की। भूखी गर्भवती हथिनी खाने की तलाश में जंगल से भटक कर रिहायशी इलाके में मलप्पुरम में जब सड़क पर टहल रही थी, तभी किसी व्यक्ति ने विस्फोटकों से भरा हुआ अनानास उसे खिला दिया जिससे नदी में 3 दिनों खड़े रहने के बाद उसकी मौत हो गई। हथिनी की दिल दहलाने वाली मौत की इस घटना को सोशल मीडिया पर नीलाम्बुर के खंड वन अधिकारी मोहन कृष्णन ने साझा किया है। उन्होने लिखा है कि हाथिनी इतने दर्द में थी कि वह नदी में 3 दिनों तक खड़े-खड़े मर गई।
उन्होने आगे लिखा कि हथिनी भोजन की तलाश में गांव पहुंच गई थी, वह स्वार्थी इंसानों के बारे में नहीं जानती थी। उसने सोचा होगा, वे उसे छोड़ देंगे क्योंकि वह दो जीवन जी रही थी। वन अधिकारी ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि जब विस्फोट उसके मुंह में फट गया तो, वह खुद के बारे में नहीं सोचकर सदमे में रही होगी, वह अपने बच्चे के बारे में सोच रही होगी जिसको वह जन्म देने वाली थी।
*विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,*