स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर ‘स्वतंत्रता संग्राम के शहीद एवं सेनानी स्मारक’ पर इन महापुरुषों को प्रशासनिक अधिकारी माल्यार्पण/पुष्पांजलि/ श्र(ांजलि अर्पित तो करते हैं…

स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर ‘स्वतंत्रता संग्राम के शहीद एवं सेनानी स्मारक’ पर इन महापुरुषों को प्रशासनिक अधिकारी माल्यार्पण/पुष्पांजलि/ श्र(ांजलि अर्पित तो करते हैं…

फर्रुखाबाद/ उत्तर प्रदेश:- स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस पर ‘स्वतंत्रता संग्राम के शहीद एवं सेनानी स्मारक’ पर इन महापुरुषों को प्रशासनिक अधिकारी माल्यार्पण/पुष्पांजलि/ श्र(ांजलि अर्पित तो करते हैं परंतु उन महापुरुषों की जमीन पर कब्जा करवाने, उनके परिवारीजनों के कष्ट का निदान नहीं करते और उनको तंग करके अपमानित करने मे नहीं चूकते।
तहसील गांव अमृतपुर निवासी महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पौत्र व भारत – पाकिस्तान संग्राम 1965ध्1971 मे भाग लेने वाले संग्राम मेडल/रक्षा मेडल से अलंकृत भारतीय नौसैनिक के पुत्र ज्ञान प्रकाश शर्मा ने बताया कि उनके अनुज आशीष कुमार के लिए स्वच्छता अभियान के तहत बनवाया गया शौचालय जिसमें सिंगल टैंक जो जमीन के ऊपर बनवा दिया गया।
टैंक की दीवारें जो खुली हुई हैं डर रहता है कि इस खुले हुए टैंक मे आवारा जानवर यदि टक्कर मार दे तो टैंक मे भरा मल मूत्र चबूतरे पर बिखर कर उनके लिए नरक बन जाएगा। इसलिए टैंक के चारों तरफ लकड़ियां रख दी हैं कि टैंक टूट न जाए। कायदे मे टैंक को जमीन के अंदर बनवाया जाना था। प्रश्न ये उठता है कि भारत देश मे क्या स्वच्छता मिशन मे जारी किए गए शौचालयों के टैंकों का निर्माण इस टैंक निर्माण जैसा मानक में है। इस टैंक के चारों तरफ मिट्टी डाल कर इसे सुरक्षित करने का दायित्व किसका बनता था। टैंक मे लगी ईंटों के बीच छिद्रों से मल मूत्र रिसने लग जायेगा तो नरक रूपी कष्ट झेलना पड़ेगा।
उक्त कष्ट के संबंध मे खंड विकास अधिकारी को भी अवगत करवाया था लेकिन देश भक्तों के गरीब परिवारीजनों की सुनता ही कौन है। उनकी मां और भाई को शौचालय प्राप्त भी नहीं हो पाया है। एक लम्बी अवधि से मानसिक रूप से पीड़ित किया जा रहा है साथ ही ईमान, शांति व धैर्य का दंश कचोट रहा है। मुख्य विकास अधिकारी को प्रार्थनापत्र प्रेषित कर कष्ट निवारण का अनुरोध किया है

पत्रकार राहुल सिंह चौहान की रिपोर्ट…