लखनऊ। हिन्द वतन समाचार…
दिन-प्रतिदिन वातावरण की ताजी हवा होती जा रही है प्रदूषित
आज के युग की गंभीर समस्या है वायु प्रदूषण, खास कर शहरों में स्थिति बद से बदतर है, यातायात और वाहन भीड़ की वजह से भारत में वायु प्रदूषण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है, शहर की हवा में अब प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और सड़कों पर जहरीली हवा से लड़ना भी अब चुनौती बन गया, दिन-प्रतिदिन वातावरण की ताजी हवा प्रदूषित होती जा रही है, इस तरह की प्रदूषित हवा से स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याएं होती है और कई बीमारियां और मृत्यु का कारण बनती है, वायु प्रदूषण सबसे महत्वपूर्ण पर्यावरण के मुद्दों में से एक है जिसके लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए, क्योंकि सरकारी महकमा एक दूसरे पर ज़िम्मेदारी थोपने में मशगूल है अफसरों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया होता तो प्रदूषण पर लगाम लग सकता था, खटारा सवारी वाहनों का धुआं हवा में घुलकर जानलेवा साबित हो रहा है धुंए से सेहत पर विपरीत असर पड़ रहा है, दर्जनों वाहन ऐसे हैं जो वर्षो पुराने होकर खटारा हो गए हैं ऐसे वाहन प्रदूषण भी फैला रहें है लेकिन इस पर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है, वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत है डीजल से चलने वाले वाहन वायु प्रदूषण का हवा में सीधे छोड़कर और नाइट्रोजन ऑक्सीजन व सल्फर ऑक्साइड का उत्सर्जन कर वायु प्रदूषण में और ज्यादा इजाफा करते हैं जिससे वातावरण में और अधिक हानिकारण कण तैरने लगते हैं ये कण सांस में अंदर जाकर हानिकारक प्रभाव डालकर फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकते हैं इनके कारण भविष्य में और अधिक बच्चों में दमा हो सकता है डीजल के धुंए के संपर्क में आने पर फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है आम तौर पर वायु प्रदूषण बहुत अधिक घातक हो सकता है, खतरनाक स्थिति तक पहुंचते वायु प्रदूषण का असर सिर्फ फेफड़ो और सांस पर ही नही होता देश में डाइबिडीज या मधुमेह के मरीजो व गर्भवती महिलाओं पर भी इसका बेहद प्रतिकूल असर पड़ रहा है, एक आंकड़े के अनुसार हर चार में से एक व्यक्ति की मृत्यु वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारी के कारण होती है, प्रयावरण विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में घुलते ज़हर के लिए कई कारक ज़िम्मेदार हैं इनमे वाहनों से निकलने वाले धुंए के साथ साथ विभिन्न औधोगिक संस्थानों से निकलने वाला कचरा और प्रदूषण नियंत्रण उपायो को ठीक से लागू नही किये जाने जैसी वजह शामिल है, प्रदूषण की मार हवा के जरिए हमारे घरों के अंदर तक अाती है. घर के अंदर हवा की गुणवत्ता पर कोई पुख्ता नीति नही है, जिस कारण इसके वास्तविक प्रभाव को मापना मुश्किल है, घर में सफाई उत्पाद, कार्बनिक यौगिक, धूल, सुगंध और तंबाकू का धुआं भी प्रदूषण पैदा करते हैं, दुनियाभर में हर दस में नौ व्यक्ति घर में वायु प्रदूषण का शिकार हो रहा है
अब सवाल ये उठता है कि क्या वायु प्रदूषण द्वारा देश भर में फैली अनगिनत बीमारियां व स्वास्थ सम्बंधित समस्याओं को लेकर सरकार और शासन प्रशासन इस पर कब तक मौन बने रहते हैं या जल्द ही इस पर विचार विमर्श करते हुए कोई ठोस कदम उठाते हैं |
आफाक अहमद मन्सूरी की रिपोर्ट…