इस नवरात्रि डोली में आएँगी जाएंगी माँ दुर्गा…
7 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत होने जा रही है, जो माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का समय होता है। ज्योतिषाचार्य पण्डित अतुल शास्त्री के अनुसार शारदीय नवरात्रि इस साल गुरुवार से प्रारंभ होकर गुरुवार को पूर्ण होगी। एक तिथि क्षय होने से इस बार नवरात्रि आठ दिन की रहेगी। जिसके कारण इस बार `गुरु` का विशेष योग बन रहा है। 7 अक्टूबर गुरुवार को आश्विन शुक्ल पक्ष एकम से प्रारंभ होकर दुर्गा महानवमीं 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी. वहीं 15 अक्टूबर दशहरा मनाया जाएगा।
शारदीय नवरात्रि के शुभ मुहूर्त :
शारदीय नवरात्री 2021 घटस्थापना मुहूर्त
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के दौरान तुला राशि का चंद्रमा, चित्रा नक्षत्र, करण किस्तुन रहेगा। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। साथ ही अभिजीत मुहूर्त 11.51-12.33, शुभ है दिलचस्प बात यह है कि इस बार माँ दुर्गा कैलाश से डोली में सवार होकर आएंगी भी और यहाँ से कैलाश डोली में सवार होकर ही जाएंगी भी। ज्योतिषाचार्य पण्डित अतुल शास्त्री कहते हैं, देवीभागवत पुराण के मुताबिक नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा जिस वाहन से सवार होकर धरती पर आती हैं उसे भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में माना जाता है। यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार को शुरू होती है तो माँ हाथी पर सवार होकर आती हैं। यदि शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होती है तो माँ घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार और शुक्रवार के दिन देवी दुर्गा डोली में बैठकर आती हैं। केवल बुधवार के दिन माँ दुर्गा नाव पर सवार हो कर आती हैं। वहीं इस साल शारदीय नवरात्रि गुरुवार से प्रारंभ हो रही हैं इसके अनुसार देवी माँ डोली में विराजकर कैलाश से धरती पर आ रही हैं। देवीभागवत पुराण के मुताबिक, डोली में आने से यह संकेत मिलते हैं कि पड़ोसी देश से अच्छे संबंध बनेंगे, आंधी-तूफान से छुटकारा मिलेगा। वहीं 15 अक्टूबर को माता डोली में बैठकर कैलाश की ओर प्रस्थान करेंगी जिसके मुताबिक आने वाले साल में भारी बारिश का संकेत मिल रहा है। वहीं इस बार दुर्गानवमी और दशहरा एक ही दिन पड़ रहा है।
ज्योतिषाचार्य पण्डित अतुल शास्त्री के अनुसार इस बार नवरात्रि में 2 सौभाग्य योग, 1 वैधृति योग और 5 रवियोग बन रहे हैं, जिसके कारण इस नवरात्रि के पूरे 9 दिन शुभ कार्यों, गाड़ी, घर, फर्नीचर खरीदने के लिए शुभ रहेंगे।
नवरात्रि के दिन पड़नेवाले योग इस प्रकार हैं।
7 अक्टूबर 2021, गुरूवार, माँ शैलपुत्री, वैधृति योग
8 अक्टूबर 2021, शुक्रवार, माँ ब्रह्मचारिणी, रवि योग
9 अक्टूबर 2021, शनिवार, माँ चंद्रघंटा, रवि योग
10 अक्टूबर 2021, रविवार, माँ कुष्मांडा, सौभाग्य और रवि योग
11 अक्टूबर 2021, सोमवार, माँ स्कंदमाता, रवि और सौभाग्य योग
12 अक्टूबर 2021, मंगलवार, माँ कात्यायनी, शोभन और रवि योग
13 अक्टूबर 2021, बुधवार, माँ कालरात्रि, सुकर्मा योग
14 अक्टूबर 2021, गुरूवार, माँ महागौरी, रवि योग
15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार, माँ सिद्धिदात्री, रवि योग
प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के साथ ही माँ दुर्गा की पूजा शुरू हो चुकी है। पहले दिन माँ दुर्गा के नवरूप के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होती है। शैल का अर्थ शिखर होता हैं | शैलराज हिमालय की कन्या होने के कारण माँ दुर्गा का यह स्वरूप ‘शैलपुत्री’ कहलाया। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार मां शैलपुत्री अपने पूर्वजन्म में दक्ष-प्रजापति की पुत्री सती थीं, जिनका विवाह भगवान शिव से हुआ था। शास्त्रों के अनुसार माता शैलपुत्री का स्वरुप अति दिव्य है। मां के दाहिने हाथ में भगवान शिव द्वारा दिया गया त्रिशूल है जबकि मां के बाएं हाथ में भगवान विष्णु द्वारा प्रदत्त कमल का फूल सुशोभित है। मां शैलपुत्री बैल पर सवारी करती हैं. बैल अर्थात वृषभ पर सवार होने के कारण देवी शैलपुत्री को वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें समस्त वन्य जीव-जंतुओं का रक्षक माना जाता है। माँ शैलपुत्री की अराधना करने से आकस्मिक आपदाओं से मुक्ति मिलती है तथा मां की प्रतिमा स्थापित होने के बाद उस स्थान पर आपदा, रोग, व्याधि, संक्रमण का खतरा नहीं होता तथा जीव निश्चिंत होकर उस स्थान पर अपना जीवन व्यतीत कर सकते हैं। शैलपुत्री के रूप की उपासना करते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करने से मां जल्दी प्रसन्न होती हैं, तथा वांछित फल प्रदान करने में सहायता करती हैं-
मंत्र:- वन्देवांछितलाभायचंद्राद्र्धकृतशेखराम। वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम।।
शैलपुत्री के पूजन करने से ‘मूलाधार चक्र’ जाग्रत होता है। जिससे अनेक प्रकार की उपलब्धियां प्राप्त होती हैं। इस दिन उपासना में योगी अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योगसाधना का आरम्भ होता है। माँ शैलपुत्री को सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है और अगर यह गाय के घी में बनी हों तो व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलती है और हर तरह की बीमारी दूर होती है. माँ शैलपुत्री का प्रिय रंग लाल है।
ज्योतिष सेवा केन्द्र
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री
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