चार वर्षों में 10,000 मेगावाट के पार होगा सौर ऊर्जा उत्पादन…
लखनऊ, 06 अक्टूबर। यूपी में बिजली की जरुरतों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार सौर ऊर्जा उत्पादन को और बढ़ावा देगी। इसके तहत सरकार ने अगले चार वर्षों में सौर ऊर्जा का उत्पादन 10,000 मेगावाट से अधिक करने का लक्ष्य तय किया है। इस टार्गेट को हासिल करने के लिए बुंदेलखंड में तीन अल्ट्रा मेगा सोलर एनर्जी पार्क स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा रुफटाप सोलर और नलकूपों का सौर ऊर्जीकरण करने की योजना को बढ़ावा दिया जाएगा। सरकार के ऐसे प्रयासों से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश बढ़ रहा है और नौकरियों के रास्ते भी खुल रहे हैं।
सूबे की नई सौर ऊर्जा नीति 2017 अब गांव-गांव में सौर ऊर्जा की रोशनी अंधेरे को मिटा रही है। वही दूसरी तरफ सौर ऊर्जा के उत्पादन की दिशा में बड़े निवेशकों ने आगे आ रहे हैं। बीते चार वर्षों में 1,635 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं लग चुकी हैं और 315 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं में जल्द ही उत्पादन होने लगेगा। इसके अलावा कई सौर ऊर्जा परियोजनाओं के निवेश संबंधी प्रस्ताव प्रदेश सरकार को मिले हैं, जबकि वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में 300 मेगावाट सौर ऊर्जा का ही उत्पादन होता था। सरकार के प्रयासों अब राज्य में 1,635 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है, यह सरकार ही सफलता है।
यूपीनेडा के अधिकारियों के अनुसार बीते साढ़े चार वर्षों में सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने संबंधी एक बेहतर ढ़ांचा राज्य में तैयार हो गया है, जिसके चलते अब राज्य में बुंदेलखंड के जालौन जिले में 1,200 मेगावाट का सोलर पार्क लगाया जा रहा है। एनएचपीसी और यूपीनेडा के संयुक्त उपक्रम वाली कंपनी इस पार्क को लगा रही है। इसी प्रकार टीएचडीसी और यूपीनेडा के संयुक्त उपक्रम वाली कंपनी 1200 मेगावाट का सोलर पार्क बुंदेलखंड में स्थापित करेगी। इसके अलावा जालौन में ही 200 और 65 मेगावाट के सोलर प्लांट लगाए जाएंगे। झांसी, ललितपुर और चित्रकूट में टुस्को और यूपीनेडा लगाएगी।
सौर ऊर्जा नीति के तहत सोलर पार्क की स्थापना और सौर ऊर्जा को थर्ड पार्टी विक्रय के लिए ओपन एक्सेस दिया गया। इस नीति के प्रोत्साहन प्राविधानों के तहत ऑनलाइन सिंगल विंडो क्लीयरेंस की व्यवस्था के साथ ही सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 100 फीसद स्टाम्प ड्यूटी में छूट और इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी में 10 वर्ष तक 100 फीसदी छूट का प्रावधान किया गया।
बुंदेलखंड के सातों जिलों बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, जालौन, झांसी और ललितपुर में अब तक कुल 11 सौर ऊर्जा प्राइवेट कंपनियां अपने सौर प्रोजेक्ट स्थापित कर चुकी हैं। इनसे साढ़े 500 मेगावाट से ज्यादा बिजली रोजाना मिल रही है। सौर ऊर्जा के उत्पादन की दिशा में तेजी से हो रहे निवेश को देखते हुए सरकार ने भी इस सेक्टर पर ध्यान केंद्रित किया हैं, जिसके चलते प्रदेश में 8,905 करोड़ रुपए के निवेश से तैयार हुई दो दर्जन से अधिक सौर पावर परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं। इसके साथ ही सरकार के प्रयास से प्रदेश में 235 मेगावाट क्षमता के सोलर रूफटॉप स्थापित हो चुके हैं। अब गांवों में बाजारों और सड़कें सोलर स्ट्रीट लाईटों से जगमगाने लगी हैं।
राज्य सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि यूपी में बिजली की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में लोगों को सस्ती बिजली मुहैया कराने के लिए सौर ऊर्जा एक बेहतर विकल्प है और राज्य सरकार ने इस दिशा में कई ऐसे कदम उठाये हैं जिसके चलते सोलर रूफटॉप स्थापित करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है और अब सौर ऊर्जा के क्षेत्र में लोगों को स्थायी रोजगार मिल रहा है। अगले चंद वर्षों में जब राज्य में 10,000 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा का उत्पादन होने लगेगा।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…