लखीमपुर हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट- ऐसी घटनाओं की कोई जिम्मेदारी नहीं लेता
नई दिल्ली, 04 अक्टूबर। लखीमपुर खीरी हिंसा का हवाला देते हुए अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना और कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध अब बंद होना चाहिए। इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो कोई जिम्मेदारी नहीं लेता।
वेणुगोपाल ने पीठ से कहा, तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बड़ी संख्या में याचिकाएं दाखिल की गईं थी। लखीमपुर खीरी में दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए। प्रदर्शन अब निश्चित ही रूकना चाहिए।
पीठ ने कहा, जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता है। पीठ ने पाया कि जब उसने पहले ही तीन कृषि कानूनों पर रोक लगा दी थी और इसमें लागू करने के लिए कुछ भी नहीं है, तो किसान किस बात का विरोध कर रहे हैं।
इस बात पर जोर देते हुए कि शीर्ष अदालत के अलावा कोई भी कृषि कानूनों की वैधता तय नहीं कर सकता है, पीठ ने कहा, जब ऐसा है, और जब किसान अदालत में कानूनों को चुनौती दे रहे हैं, तो सड़कों पर विरोध क्यों कर रहे हैं?
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पीठ ने कहा कि उसके समक्ष निर्णय के लिए मुख्य प्रश्न यह है कि क्या विरोध के अधिकार का प्रमुख मुद्दा असीमित है, वो भी तब जब याचिकाकर्ता अदालत पहुंचे हैं, और क्या वे तब भी विरोध का सहारा ले सकते हैं जब मामला विचाराधीन हो।
पीठ ने कहा, विरोध क्यों? जब कानून बिल्कुल भी लागू नहीं है और अदालत ने इसे स्थगित रखा है। कानून संसद द्वारा बनाया जाता है, सरकार द्वारा नहीं।
शीर्ष अदालत ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने के लिए प्रदर्शनकारियों के लिए जगह की मांग करने वाली किसान महापंचायत की याचिका पर विचार करने के लिए सहमति जताते हुए ये टिप्पणियां कीं। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को निर्धारित की है।
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