पालक्कड में हाथियों के हमले रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए? उच्च न्यायालय ने केरल सरकार से पूछा
कोच्चि, 28 सितंबर। पलक्कड़ जिले में आईआईटी के एक निर्माणाधीन परिसर सहित मानव बस्तियों में जंगली हाथियों के घुसपैठ पर केरल उच्च न्यायालय ने गौर करते हुए राज्य सरकार से भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रस्तावित कदमों पर एक रिपोर्ट मांगी है।
यह निर्देश न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति पी गोपीनाथ की पीठ ने ब्रूनो नाम के कुत्ते की भीषण हत्या के मद्देनजर उसके स्वत: संज्ञान पर शुरू की गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई के दौरान जारी किया गया। इस कुत्ते को तिरुवनंतपुरम के बाहरी इलाके में आदिमलाथुरा समुद्र तट पर कुछ लोगों ने बांध दिया था और पीट-पीट कर मार डाला था।
अदालत ने कहा कि मामले में नियुक्त न्यायमित्र ने पलक्कड़ में निर्माणाधीन आईआईटी परिसर में हाथियों के झुंड के प्रवेश करने की घटना की ओर इशारा करते हुए एक रिपोर्ट दी।
पीठ ने कहा कि रिपोर्ट पर सरकार की प्रतिक्रिया “भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए राज्य और उसकी एजेंसियों द्वारा उठाए जाने वाले प्रस्तावित कदमों का संकेत देने वाली होनी चाहिए।’
जनहित याचिका के तहत अदालत जानवरों के प्रति क्रूरता की अन्य घटनाओं पर भी गौर कर रही थी, जिसमें एर्नाकुलम जिले के थ्रीक्काकारा नगरपालिका क्षेत्र में सैकड़ों आवारा कुत्तों को जहर देकर मार डाला गया था।
मामले की सुनवाई के दौरान, केरल सरकार द्वारा पीठ को सूचित किया गया कि राज्य पशु कल्याण बोर्ड ने पहले ही काम करना शुरू कर दिया है और इसकी वेबसाइट चालू हो गई है और नागरिकों द्वारा उपयोग के लिए तैयार है।
सरकार ने पीठ को यह भी बताया कि भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने अभी तक राज्य बोर्ड को अपने नामांकित व्यक्तियों के बारे में सूचित नहीं किया है और उनसे जानकारी प्राप्त करने पर उन नामांकित व्यक्तियों को भी शामिल किया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने राज्य पशु कल्याण बोर्ड में तत्काल दो सदस्यों को नामित क रने का भारत पशु कल्याण बोर्ड को निर्देश देते हुए मामले में अगली सुनवाई एक अक्टूबर को तय की।
“हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट