मप्र में 3 साल में मारे गए सात नक्सली
भोपाल। मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित इलाकों में एक तरफ जहां विकास कार्यों का दौर जारी है तो दूसरी ओर मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। इसके साथ ही पुलिस की चौकसी है। बीते तीन साल में सात इनामी नक्सलियों के मार गिराने के अतिरिक्त तीन नक्सलियों की गिरफ्तारी भी हुई है।
राज्य के जनसंपर्क विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, रविवार को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नई दिल्ली में नक्सली उग्रवाद पर समीक्षा बैठक में नक्सलवाद प्रभावित सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई।
इस बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नियंत्रण और विकास के लिये किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि वर्ष 2020-21 में नक्सल प्रभावित जिलों में 12 लाख श्रमिकों को रोजगार प्रदान कर 802 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विगत 5 वर्ष में 375 करोड़ रुपये के अधोसंरचनात्मक निर्माण कार्य कराये गये हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि ट्राईजंक्शन में तीनों राज्यों मध्य प्रदेष, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट के पुलिस बल की संयुक्त कार्यवाही के अच्छे परिणाम आए हैं। सर्च ऑपरेशन एवं एरिया डॉमिनेशन बढ़ाया गया है। नक्सली दस्तावेजों और गिरफ्तार नक्सलियों की पूछताछ से स्पष्ट हुआ है कि ठेकेदारों से पहुंचने वाली करोड़ों रुपये की राशि नक्सलियों तक नहीं पह्रुंच सकी। वहीं विगत 3 वर्षों में मध्यप्रदेश पुलिस ने सात नक्सलियों को मारने और 3 नक्सलियों की गिरफ्तारी में सफलता प्राप्त की है।मुख्यमंत्री चौहान ने बैठक में बताया कि प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सलवाद को नियंत्रित करने के लिये सशस्त्र
कार्यवाही करने के साथ ही निरंतर विकासात्मक कार्य कराये जा रहे हैं। प्रभावित क्षेत्र में लोगों को वृहद स्तर पर मनरेगा अंतर्गत रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। विगत 5 वर्ष की अवधि में राज्य ने अपने स्रोतों से 375 करोड़ रुपये व्यय कर 430 किलोमीटर सड़कें एवं 14 पुल निर्मित किये हैं। इसके अतिरिक्त मध्यप्रदेश रूरल कनेक्टिविटी योजना एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 72 करोड़ के व्यय से 1405 किलोमीटर की सड़कें नक्सल प्रभावित जिलों में बनाई गई हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश में पूर्व में निरस्त वन अधिकार दावों पर पुनर्विचार करते हुए 34 हजार पट्टे जनजाति भाई-बहनों को दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि मध्यप्रदेश में जनजातियों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम-2020 पारित किया है, जिससे अनुसूचित क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को नियम विरूद्ध दिए गए ऋण अपने आप माफ हो गए हैं। राज्य में पेसा कानून को चरणबद्ध रूप से लागू करने का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है। ग्राम न्यायालयों को सशक्त करने की दिशा में राज्य के नियमों में संशोधन किया जाएगा। देवारण्य योजना के तहत अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में
औषधियों के उत्पादन की तकनीक और उनके लिए बाजार लिंकेज उपलब्ध कराई जा रही है। वन विभाग के माध्यम से संचालित गतिविधियों से बालाघाट, मण्डला एवं डिंडौरी जिले में रोजगार सृजित हुआ है। मुख्यमंत्री चौहान ने बताया कि बालाघाट, मण्डला, डिंडोरी जिलों में 23 हजार 113 महिला स्व-सहायता समूह बनाकर समूहों से दो लाख 74 हजार परिवारों को जोड़ा गया है। ये समूह उन्नत खेती, पशुपालन उत्पादों के विपणन के साथ गैर कृषि क्षेत्र में भी कार्य कर रहे हैं।
“हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट