अदालत ने ऑनलाइन यात्रा कंपनी के मालिक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द की
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक उपभोक्ता द्वारा दर्ज कराए गए धोखाधड़ी के मामले में एक ऑनलाइन यात्रा कंपनी के मालिक के खिलाफ यहां एक निचली अदालत द्वारा जारी सम्मन रद्द कर दिया है।
यात्रा कंपनी के मालिक ने वकील कल्याण निधि में 7.5 लाख रुपये स्वेच्छा से जमा करने की पेशकश की और दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया, जिसके बाद उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने कहा कि चूंकि यह मामला ‘‘पूरी तरह वाणिज्यिक’’ है तो इसे जारी रखने से कोई सार्थक उद्देश्य हासिल नहीं होगा।
शिकायकर्ता ने कहा कि उसने अपनी मर्जी और बिना किसी दबाव के मालिक के साथ समझौता कर लिया है और उसे मामला रद्द किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। वहीं यात्रा कंपनी के मालिक ने महामारी के समय विधि समुदाय के समक्ष पेश आयी मुश्किलों के मद्देनजर स्वेच्छा से 7.50 लाख रुपये जमा कराने की इच्छा जतायी है।
अदालत ने कहा कि यात्रा कंपनी का मालिक नई दिल्ली बार संघ सदस्य कल्याण निधि, दिल्ली उच्च न्यायालय बार संघ महामारी राहत कोष और दिल्ली उच्च न्यायालय (मध्यम आय समूह) कानूनी सहायता सोसायटी में क्रमश: चार लाख रुपये, ढाई लाख रुपये और एक लाख रुपये जमा कराए।
इस मामले में शिकायतकर्ता वकील तरुण राणा ने यात्रा वेबसाइट से छुट्टियां मनाने का एक पैकेज लिया था और उसे चार और पांच सितारा होटलों में ठहराने का वादा किया गया था। प्राथमिकी में शिकायतकर्ता ने कहा कि कंपनी ने अपने वादे के विपरीत उसे कम सुविधाओं वाले एवं सस्ते होटलों में ठहराया। निचली अदालत द्वारा सम्मन भेजे जाने के बाद यात्रा कंपनी के मालिक ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
”हिन्द वतन” समाचार की रिपोर्ट