अमेरिका ने एक प्रमुख रक्षा साझेदार के तौर पर भारत के प्रति ‘दृढ़ प्रतिबद्धता’ जतायी…
वाशिंगटन, 25 सितंबर। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जानकारी साझा करने और उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों में सहयोग को मजबूत करने सहित करीबी जुड़ाव के माध्यम से भारत के लिए एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में अपनी ‘‘दृढ़ प्रतिबद्धता’’ दोहरायी।
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच पहली आमने सामने की द्विपक्षीय बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने उन्नत औद्योगिक सहयोग को गहरा करने का भी स्वागत किया और रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल के तहत एयर-लॉन्च किए गए मानव रहित हवाई यानों (यूएवी) के सह-विकास के लिए हालिया परियोजना का उल्लेख किया। साथ ही दोनों ने इस तरह के और अधिक संयुक्त प्रयासों को प्रोत्साहित किया।
द्विपक्षीय बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रपति बाइडन ने अमेरिका और भारत के बीच रक्षा संबंधों की मजबूती की पुष्टि की तथा सूचना साझा करने, साजो-सामान और सेनाओं के बीच संवाद साझा करने, उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकियों और क्षेत्रीय भागीदारों के साथ बहुपक्षीय ढांचे में विस्तार करके सहयोग को और मजबूत करने के माध्यम से एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में भारत के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता दोहरायी।’’
अमेरिका ने 2016 में भारत को एक प्रमुख रक्षा भागीदार का दर्जा दिया था। इसके अनुरूप, 2018 में, भारत को ‘स्ट्रेटेजिक ट्रेड आथराइजेशन टीयर-1’ का का दर्जा दिया गया, जो भारत को वाणिज्य विभाग द्वारा विनियमित सैन्य और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए लाइसेंस-मुक्त पहुंच प्राप्त करने की अनुमति देता है।
नेताओं ने सरकार और निजी हितधारकों से सह-विकास, सह-उत्पादन और आपसी रक्षा व्यापार के विस्तार के लिए रक्षा उद्योगों में नवाचार और उद्यमिता के मौजूदा पारिस्थितिकी तंत्र का उपयोग करने का आह्वान किया।
बयान में कहा गया है, ‘‘वे उच्च स्तरीय रक्षा औद्योगिक सहयोग की सुविधा के लिए औद्योगिक सुरक्षा समझौता शिखर सम्मेलन की उद्घाटन बैठक को लेकर भी उत्सुक थे।’’
नेताओं ने फैसला किया कि अमेरिका और भारत को नए क्षेत्र और महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकी के कई क्षेत्रों – अंतरिक्ष, साइबर, स्वास्थ्य सुरक्षा, सेमीकंडक्टर, एआई, 5 जी, 6 जी और भविष्य की पीढ़ी की दूरसंचार प्रौद्योगिकी और ब्लॉकचैन में अपनी साझेदारी जारी रखनी चाहिए जो नवाचार प्रक्रियाओं और अगली सदी के आर्थिक और सुरक्षा परिदृश्य को परिभाषित करेगा।
उन्होंने साइबर स्पेस में कमजोरियों और खतरों को दूर करने की मूलभूत आवश्यकता को पहचाना, जिसमें महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के लचीलेपन को बढ़ावा देना शामिल है। साथ ही रैंसमवेयर और अन्य साइबर-सक्षम अपराध का मुकाबला करने के लिए सरकारों के बीच बढ़ती साझेदारी का स्वागत किया, जिसमें साइबर अपराधियों से निपटने के प्रयास शामिल हैं।
बाइडन और मोदी ने स्थायी क्षमता निर्माण के महत्व को दोहराया और कहा कि साइबर खतरों का जवाब देने के लिए पारस्परिक तकनीकी सहायता प्रयासों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और इसमें वृद्धि की जानी चाहिए, जिसमें संवाद, संयुक्त बैठक, प्रशिक्षण और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना शामिल है।
बयान में कहा गया है, ‘‘वे ‘स्पेस सिचुएशनल अवेरनेस मेमोरंडम आफ अंडस्टैंडिंग’ को अंतिम रूप देने के लिए तत्पर हैं जो वर्ष के अंत तक बाहरी अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए डेटा और सेवाओं को साझा करने में मदद करेगा।’’
वैश्विक भागीदारों के रूप में, अमेरिका और भारत ने शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और लोगों के जुड़ाव में अपने सहयोग को और मजबूत करने का संकल्प लिया। बयान में कहा गया है कि नेताओं ने इस साल के अंत में भारत और अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों की टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता के जरिए करीबी विचार-विमर्श का स्वागत किया।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…