शिक्षक विहीन जर्जर भवनों में बच्चों से सिर नाच रही मौत…
फर्रुखाबाद। सब पढ़े-सब बढ़े का नारा दे शासन द्वारा सर्व शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है। नगर क्षेत्र कायमगंज में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित पूर्व माध्यमिक एवं प्राथमिक स्कूल शासन की उदासीनता के कारण अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं।
गौरतलब है कि पूरे नगर क्षेत्र में कुल तेरह परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें से 4 विद्यालय पूर्व माध्यमिक तथा 9 विद्यालय प्राइमरी स्तर के हैं। विडंबना यह है कि इन सभी स्कूलों में मात्र दो शिक्षक ही वर्तमान में कार्यरत है। शिक्षकों में प्रधानाध्यापक विनोद तिवारी अकेले पुरुष एवं अर्पणा गुप्ता महिला शिक्षक ही किसी तरह सभी स्कूलों का प्रबंध जैसे तैसे संभाल कर काम चला रहे हैं।
पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के लिए हर स्कूल में कम से कम गणित विज्ञान तथा अंग्रेजी भाषा के लिए अन्य शिक्षकों के अतिरिक्त शिक्षण कार्य हेतु अध्यापक होना चाहिए। किंतु यहां तो पूरा मामला ही शिक्षक शून्य है। वही नौ प्राइमरी स्कूलों में भी किसी भी स्कूल में अध्यापक की नियुक्त नहीं है। कहीं शिक्षामित्र तो कई स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बच्चों की पढ़ाने का कार्य सौंपा गया है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर इन स्कूलों में अच्छी खासी संख्या में पढ़ने की उम्मीद से आने वाले बच्चों का भविष्य कितना अंधकारमय है।यह बात किसी से छिपी नहीं है।
इसके अलावा पूरे नगर क्षेत्र के विद्यालयों में से केवल श्यामा गेट, चिलांका, तहसील रोड,बाले 3 विद्यालयों को छोड़कर किसी भी स्कूल का निजी भवन भी नहीं है। बहुत पहले, संभवत: स्थापना वर्ष से ही स्कूल संचालन के लिए भवनों की व्यवस्था किराए पर की गई थी। वह सभी भवन अब बहुत ही जीर्ण-शीर्ण हालत में आ चुके, जिनकी छत के नीचे बैठकर शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों की जिंदगी हमेशा खतरे में ही बनी रहती है। विभाग की तरफ से न तो इनका किराया बढ़ाया जा रहा है, और न ही भवन निर्माण के लिए कोई ठोस योजना ही अब तक विभाग द्वारा अमल में लाई गई है।
नगर पालिका परिषद की जिसकी आबादी क्षेत्र के गरीबों के बच्चे इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते हैं। इस पालिका को भी इन गरीबों से कोई शायद मतलब नहीं रहा है। जर्जर भवनों में अध्यापक विहीन जैसी दुर्दशा युक्त स्थिति में संचालित इन परिषदीय स्कूलों में बच्चों का भविष्य और जीवन दोनों ही अंधकारमय एवं खतरे से खाली नजर नहीं आ रहे हैं।
इस संबंध में नगर शिक्षा अधिकारी यासमीन रहमानी से पूछे जाने पर उन्होंने स्वीकार किया कि नगर में केवल दो टीचर ही हैं। जबकि नौ प्राथमिक तथा चार पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं। इनमें से 3 प्राथमिक जूनियर स्कूलों के परिसर में संचालित हैं। प्राथमिक विद्यालय बगिया, गंगादरवाजा ,जटवारा ,पृथ्वीदरवाजा आदि किराए के भवन में चलाने की व्यवस्था पहले से ही है। यह भवन बहुत जर्जर हैं। इस पर उनका कहना था कि एक स्कूल का समायोजन आदेश किया जा चुका है। किंतु वह भी किराए वाले भवन में ही चलने वाले दूसरे स्कूल के साथ ही सम्बद्ध करना पड़ा। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अपने स्तर से सक्षम अधिकारियों को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है। आज तक शिक्षकों की नियुक्तियां क्यों नहीं हुई ? क्या इसके लिए शासन या फिर सक्षम विभागीय अधिकारियों की उदासीनता जिम्मेदार है। यह बात स्पष्ट करने का प्रयास कभी किसी ने नहीं किया। गरीबों के बच्चों की शिक्षा तथा जर्जर भवनों के कारण हर समय उनके सिर पर मंडराते खतरे से संभवत: किसी को कोई सरोकार न था और ना आज भी कोई इस ओर फिक्र मंद दिखाई दे रहा है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…