देश में अब तक की ड्रग्स की सबसे बड़ी बरामदगी पर कांग्रेस ने अडानी ग्रुप को घेरा…
आखिर सब चुप क्यों हैं- पवन खेड़ा 👆
“हिंद वतन समाचार” पर 20 सितंबर को चली खबर 👆
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री पर भी उठाए सवाल: अडानी ग्रुप की ओर से दी गई सफाई…
“हिंद वतन समाचार” पर 20 सितंबर को चली थी खबर…
लखनऊ/गांधीनगर/नई दिल्ली। गुजरात के कच्छ में मुंद्रा पोर्ट से गत दिनों तीन हजार किलोग्राम हेरोइन की बड़ी खेप पकड़े जाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। पकड़ी हेरोइन की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 21 हजार करोड़ रुपए बताई गई है। यह मामला इसलिए भी तूल पकड़ रहा है क्योंकि मुंद्रा पोर्ट अडानी ग्रुप के पास है। यहां यह भी बताते चलें कि “हिंद वतन समाचार” ने इस बरामदगी की खबर 20 सितंबर को ही चलाई थी। इस बीच कांग्रेस द्वारा मुंद्रा पोर्ट से देश में अब तक हुई ड्रग्स की सबसे बड़ी बरामदगी में सवाल उठाए जाने के बाद अडानी ग्रुप की ओर से सफाई भी आई है। अडानी ग्रुप की ओर से कहा गया है कि वह केवल पोर्ट आॅपरेटर है, पोर्ट पर आने वाले शिपमेंट्स को चेक करने का अधिकार उसके पास नहीं है।
अफगानिस्तान में आतंक की फैक्ट्री तो है ही, अफीम-हेरोइन जैसी नशीली चीजों का कारोबार भी फलता-फूलता है। अफगानिस्तान दुनिया भर में हेरोइन की 80 फीसदी सप्लाई करता है, इसे कमाई भी खूब होती है। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने पर ड्रग्स की तस्करी का खतरा और भी बढ़ गया है। गुजरात के कच्छ जिले में मुंद्रा बंदरगाह से 3,000 किलोग्राम हेरोइन पकड़े जाने से इस खतरे की आहट मिलने लगी है। ये हेरोइन दो कंटेनरों में रखी थी।
आतंकी गतिविधियों के लिए कहीं फंडिंग तो नहीं…?
भारत में एक बार में जब्त की गई हेरोइन की यह सबसे बड़ी खेप है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करीब 21,000 करोड़ रुपये आंकी गई। जब्त हेरोइन की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रति किलोग्राम 5 से 7 करोड़ रुपये है। मादक पदार्थ को अफगानिस्तान के कंधार से ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह और वहां से फिर गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह भेजा गया। इससे नशीले कारोबार के रूट का भी पता चलता है। सूत्र बताते हैं कि इस बात की भी पूरी संभावना है कि इसके जरिए आईएसआई और तालिबान ने आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग की हो। दरअसल, अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार ने इसे बैन किया था लेकिन आतंकियों के सत्ता हथियाने के बाद यह फिर से शुरू हो गया है। इससे तालिबान और पाकिस्तान के ड्रग नेक्सस का भी पता चलता है।
हम तो मुंद्रा पोर्ट के केवल ऑपरेटर हैं. . . . .
अडानी ग्रुप की ओर से कहा गया है कि वहां (मुंद्रा पोर्ट पर) कौन से शिपमेंट्स आते हैं, उसे चेक करने का अधिकार हमारे पास नहीं है। बरामद हेरोइन की क्वालिटी काफी अच्छी बताई जा रही है। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के ऐंगल से भी इस मामले की जांच शुरू कर दी है। राजस्व खुफिया निदेशालय ने आयात-निर्यात कंपनी चलाने वाले एक दंपति को चेन्नई से गिरफ्तार किया है। उधर, दिल्ली-एनीआर में कुछ अफगान नागरिकों से भी पूछताछ चल रही है।अफगानिस्तान में नशे की फैक्ट्री और लैब लघु उद्योग की शक्ल में चलाए जाते हैं। इन्हे सिंडिकेट और आतंकी सरगना ही संभालते हैं। एक छोटे लैब में 10-20 लोग काम पर लगाए जाते हैं जिनमें पाकिस्तान या हेलमंद से बावर्ची और केमिस्ट्स लाए जाते हैं। ट्रेड रूट की बात करें तो ड्रग्स को ईरान, पाकिस्तान से तुर्की होते हुए यूरोप भेजा जाता है। ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणपूर्व एशिया के लिए भारत से, यूरोप और उत्तरी अफ्रीका के लिए पाकिस्तान से निर्यात किया जाता है।
अफगानिस्तान, अफीम और तालिबान. . . . .
ईडी के सूत्रों ने बताया है कि जांच की जा रही है कि हेरोइन की तस्करी के पीछे कौन लोग शामिल थे, सिंडिकेट की भी जांच की जाएगी। इससे जुटाए गए रुपयों का पता लगाया जाएगा और आरोपियों की संपत्ति कुर्क करने की भी तैयारी है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि इस खेप का आयात आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में पंजीकृत एक कंपनी ने किया था और दस्तावेजों में इसे सेमी-प्रॉसेस्ड टैल्क पत्थर (टेलकम पाउडर) बताया था। एक कंटेनर से 1999.57 किलोग्राम और दूसरे कंटेनर से 988.64 किलोग्राम हीरोइन पकड़ी गई।
चेन्नई से पति-पत्नी को किया गया गिरफ्तार. . . .
इन दोनों कंटेनरों से सामान का आयात करने वाले फर्म की पहचान आशी ट्रेडिंग कंपनी के रूप में की गई है, जिसे कथित रूप से एम. सुधाकर और उनकी पत्नी जी. दुर्गा पूर्णा वैशाली चलाते हैं। डीआरआई ने दोनों को चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया है। वे अब 10 दिनों के लिए डीआरआई की हिरासत में हैं और पूछताछ चल रही है। सुगंधित पाउडर आयात करने के नाम पर हेरोइन कहां से आ गई, इस पर जांच की जा रही है। इसमें कंधार के हसन हुसैन लिमिटेड का नाम सामने आ रहा है, जिसने निर्यात किया था।
भारत के रास्ते ड्रग्स की सप्लाई इसलिए बढ़ी….?
एंटी-स्मगलिंग एजेंसियों के अधिकारियों का कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान के सरकार बनाने के बाद ड्रग माफिया के सामने संकट की स्थिति है, उन्हे डर है कि तालिबान के आतंकी अफगानिस्तान में तैयार हेरोइन को जब्त न कर लें। ऐसे में अधिकारियों को शक है कि तस्कर ईरान के रास्ते नशीली चीजें भेजने के लिए समुद्री रूट का इस्तेमाल कर सकते हैं। वे जल्द से जल्द अफगानिस्तान से हेरोइन भारत या किसी दूसरे देशों में भेज देना चाहते हैं और इसीलिए वे नए-नए तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, मादक पदार्थ का कारोबार करने वाले माफिया पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। अब उन्हे डर है कि तालिबान ने पकड़ा तो उनकी जान भी जा सकती है। भारत की तरफ ड्रग्स सप्लाई बढ़ने की यह एक बड़ी वजह ये मानी जा रही है।
कांग्रेस ने बोला अडानी/प्रधानमंत्री पर हमला….
इस मामले पर कांग्रेस ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस पार्टी ने हैरानी जताते हुए कहा कि गुजरात से आने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस ड्रग्स सिंडिकेट को तोड़ने में असफल क्यों रहे ? कांग्रेस की ओर से सवाल किया गया कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और सरकार की नाक के नीचे देश में कितने ड्रग्स सिंडिकेट चल रहे हैं ? कांग्रेस प्रवक्ता प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, ‘पिछले सप्ताह गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर हिंदुस्तान के इतिहास में सबसे अधिक मात्रा में मादक पदार्थ जब्त किया गया। 3,000 किलोग्राम हेरोइन अफगानिस्तान से भारत में भेजी गई थी, ये बहुत ज्यादा गंभीर मामला बनता है। यह भारत के नौजवानों को बर्बाद करने की साजिश है। यही नहीं, इससे मिले पैसे का उपयोग करके भारत में ही आतंकी गतिविधियों का वित्तपोषण भी किया जाता है।’
कांग्रेस का सवाल- प्रधानमंत्री आखिर चुप क्यों हैं ?
कांग्रेस नेता के मुताबिक, ‘सबको पता है कि इस बंदरगाह का स्वामित्व अडानी समूह के पास है।’ कांग्रेस प्रवक्ता ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मुंबई में फिल्म से जुड़े किसी व्यक्ति के पास दो ग्राम ड्रग्स मिल जाए तो देश के सभी मुद्दों को दरकिनार कर मीडिया में बहस होती है, लेकिन 3000 किलोग्राम ड्रग्स को लेकर खामोशी है।’ खेड़ा ने सवाल किया, ‘आखिर क्या कारण है कि प्रधानमंत्री, जो कि गुजरात से आते हैं, वो भी चुप हैं? गृहमंत्री जो कि गुजरात से आते हैं, वो भी चुप हैं? आला अधिकारी भी चुप क्यों हैं ?
(23 सितंबर 2021)
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,