बिहार: भाजपा के पन्ना, सप्तऋषि को टक्कर देने के लिए राजद, जदयू चले गांव की ओर
पटना। बिहार में भले ही हाल के दिनों में कोई चुनाव नहीं होने वाला है, लेकिन सभी प्रमुख दल अपने संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं। ऐसे में दलों का जोर गांवों तक है। बिहार में सत्ताधारी जनता दल (युनाइटेड) जहां गांव और बूथस्तर तक संगठन को मजबूत करने में जुटा है, वहीं मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी बूथ स्तर की कमेटियों को वैचारिक रूप से
सशक्त बनाने की तैयारी कर रखी है। भाजपा हालांकि इसे नकल बताकर विचारधारा से भी जोड़ रही है। राजद ने बूथ स्तर तक पार्टी की मजबूती और गांवों तथा पंचायतों में पार्टी की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए पटना में दो दिनों का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया है। पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं कि इस दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में जिलों के पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि संगठन को मजबूत करने की लगातार कवायद की जा रही है। इधर, भाजपा के साथ
बिहार में सरकार चला रही जदयू ने भी गांव और बूथस्तर पर संगठन को मजबूत करने की रणनीति बनाई है। पटना में दो दिवसीय प्रमंडलवार बैठक में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने संगठन को मजबूत और धारदार बनाने के लिए जिलाध्यक्षों को संपूर्ण जिले में गांव-गांव तक संगठन को स्थापित करने की जिम्मेदारी दी है। बैठक में एक माह के अंदर जिले के सभी प्रखंडों, पंचायतों एवं गांवों में संगठन की इकाई गठित कर उन सबका ब्यौरा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। बैठक में प्रत्येक गांव से कम से कम 10 कार्यकर्ताओं की सूची बनाने की बात कही गई है। वैसे, माना जा रहा है कि भाजपा ने पहले ही
गांवों और बूथस्तर तक अपने संगठन को मजूबत कर लिया है। ऐसे में भाजपा के शक्ति केंद्र, सप्तऋषि और पन्ना प्रमुख इन दलों के लिए चुनौती बनेंगे। भाजपा के गांव-गांव में बूथस्तर तक सप्तऋषि तथा पन्ना प्रमुख फैले हुए हैं। भाजपा के एक नेता भी नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहते हैं कि ऐसा नहीं प्रत्येक नकल सफल ही हो जाए। उन्होंने कहा कि सभी दलों की विचारधारा अलग-अलग है। भाजपा की विचारधारा ऐसी है कि लोग इससे जुड़ते हैं और गांव-गांव तक में काम करते हैं। उन्होंने आशंका जताते हुए कहा, बिहार की पार्टियां भाजपा की नीति पर अमल करते हुए रणनीति बना रही हैं या बनाई हैं, लेकिन यह
रणनीति उन दलों की सफल होगी, जिसमें शंका है। सभी दलों की विचारधारा अलग-अलग है। वैसे, कहा यह भी जाता है कि राजद कार्यकर्ता आधारित पार्टी है, लेकिन पार्टी के रणनीतिकारों को पार्टी को व्यवस्थित, वैचारिक एवं अनुशासित बनाना एक चुनौती है। राजद ने पिछले लोकसभा चुनाव में कई जिलों में बूथस्तर पर कमेटी बनाई थी, लेकिन वह कारगर नहीं हो सकी थी। ऐसे में अब पार्टी उसे सशक्त करने में जुटी है। राजद सूत्रों का कहना है कि पार्टी के रणनीतिकार की सोच है कि गांव-गांव तक पार्टी को मजबूत कर प्रभावी बनाना है, जिससे शीर्ष नेतृत्व की बात वोटरों तक आसानी से पहुंचाई जा सके।
“हिन्द वतन समाचार” की रिपोर्ट