दो जातियों में मचा घमासान, कोई फाड़ रहा पोस्टर तो कोई कर रहा पंचायत

दो जातियों में मचा घमासान, कोई फाड़ रहा पोस्टर तो कोई कर रहा पंचायत

दादरी/नोएडा। महापुरूषों की कोई जाति नहीं होती लेकिन दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में एक महापुरूष की जाति को लेकर गुर्जर व क्षत्रियों ने अब अपनी अपनी नाक का सवाल बना लिया है। पिछले तीन दिनों से लगातार सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर घमासान मचा हुआ है। जिनकी विशालकाय मूर्ति का अनावरण करने के लिए 22 सिंतबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दादरी आ रहे है। कोई दादरी व उसके आसपास शहर में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम व सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति अनावरण वाले बैनर फाड़ रहा है तो कोई विशेष जाति गांवों की पंचायत दादरी के गांव टयौला में बुला कर सम्राट को अपना

बताने का पुरजोर लगा रहा है। चर्चा ए आम है कि उनके कार्यक्रम से पहले सम्राट मिहिर भोज की जाति को लेकर जानबूझ कर हवा दी जा रही है ताकि उनका कार्यक्रम रद्द हो जाए। कार्यक्रम दादरी विधायक तेजपाल के क्षेत्र में है। जो पिछले कुछ सालों से अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं के साथ साथ विरोधियों के निशाने पर है। उनके साथ साथ विरोधी उनके सरपरस्त सांसद पर कार्यक्रम रद्द करा कर उनकी हैसियत कम करने की चाह पाले हुए है। वहीं पोस्टर फाड़े जाने को लेकर पुलिस भी इस घमासान में लॉ एंड आर्डर बिगडऩे का हवाला देते हुए कूद पड़ी है। पुलिस के मुताबिक मुख्यमंत्री के कार्यक्रम से पहले किसी को भी कानून व्यवस्था से खिलवाड़ नहीं करने दिया जायेगा। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा और करणी सेना ने सम्राज मिहिर भोज

को गुर्जर बताने का विरोध किया है और क्षत्रिय समाज के 144 गांवों की महापंचायत आज रविवार को आयोजित की गई है, जिसमें इस कार्यक्रम के विरोध की पूरी रणनीति बनेगी। क्षत्रिय समाज के सभी प्रमुख लोग इस महापंचायत में हिस्सा लेंगे। करणी सेना के प्रदेश संगठन मंत्री राणा ब्रजेश प्रताप सिंह, अधिवक्ता रीमा सिंह अशोक चौहान के मुताबिक नौंवी शताब्दी के राजपूत सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार को गुज्जर समुदाय से जोडऩा गलत है। वह अपने इतिहास से छेड़छाड़ नहीं होने देंगे। इसको लेकर समाज के लोगों में नाराजगी है। अपने इतिहास को बचाये रखने के लिए वह सडक़ से लेकर संसद तक लड़ाई

लडऩे के लिए तैयार हैं। दादरी में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम की होर्डिंग में सम्राट मिहिर भोज के नाम के आगे गुर्जर नहीं लिखने से लोगों में आक्रोश है। गुर्जर समाज के लोगों समेत कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों से जुड़े प्रतिनिधियों ने सडक़ से लेकर सोशल मीडिया पर आक्रोश प्रकट किया है। आरोप है कि राजपूत समाज के कुछ लोगों के विरोध करने पर शहर में लगे होर्डिंग और पोस्टरों से गुर्जर शब्द हटा दिए गए हैं। शनिवार को नाराज लोगों ने दादरी में पोस्टर लगवाने वाले भाजपा नेताओं का पुतला फूंका और कार्यक्रम के बैनर भी फाड़ दिए। दादरी के लोगों का कहना है कि दादरी में गुर्जर

सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण की सूचना सोशल मीडिया पर दी गई थी। आमंत्रित करने के लिए जारी किए गए कार्ड पर गुर्जर शब्द का इस्तेमाल किया गया था। आरोप है कि राजपूत समाज के विरोध और चेतावनी के चलते शनिवार को दादरी नगर में लगे कार्यक्रम के होर्डिंग से गुर्जर शब्द हटा दिए गए। इससे गुर्जर समाज के लोग नाराज हैं। कई लोगों ने शहर में लगी होर्डिंग फाड़ दी है। सोशल मीडिया पर भी इसके विरोध में विडियो जारी किए जा रहे हैं। साथ ही आयोजन में जुटे भाजपा के नेताओं पर कटाक्ष किए जा रहे है। वहीं भाजपा नेता चुप्पी साधे हुए हैं। अखिल भारतीय गुर्जर शोध संस्थान के अध्यक्ष योगेंद्र चौधरी का कहना है कि महापुरुषों की कोई जाति नहीं होती है। इतिहास में स्पष्ट है सम्राट मिहिर भोज गुर्जर समाज से थे। दूसरे

समाज के लोग अनावश्यक रुप से विरोध कर रहे है। पूर्व मंत्री और अखिल भारतीय गुर्जर शोध संस्थान के संरक्षक हरिश्चंद्र भाटी का कहना है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर समुदाय से थे। उन्हें जाति बिरादरी से ऊपर उठकर देखना चाहिए। इसको लेकर गुर्जर शोध संस्थान भी अपना पक्ष रविवार आज को रखने जा रही है। अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को सम्राट मिहिर भोज डिग्री कॉलेज के सामने भाजपा नेताओं का पुतला जलाया। महासभा के जिलाध्यक्ष श्याम सिंह भाटी एडवोकेट ने कहा कि भाजपा नेता चक्रवर्ती सम्राट मिहिर के नाम के पहले गुर्जर शब्द नहीं लगा रहे हैं। इससे गुर्जर समाज में आक्रोश है।

”हिन्द वतन” समाचार की रिपोर्ट