छात्रा की संदिग्ध मौत के मामले में हाईकोर्ट ने डीजीपी को लगाई फटकार…
प्रयागराज न छोड़ने का आदेश, कल फिर पूरी तैयारी के साथ आने का आदेश: 3 एसपी भी कोर्ट में पेश हुए…
दो वर्ष पूर्व मैनपुरी में हुई छात्रा की मौत के मामले में हाईकोर्ट की सख्ती से पुलिस महकमे में हड़कंप…
लखनऊ/प्रयागराज। दो साल पहले मैनपुरी में नवोदय विद्यालय की छात्रा की संदिग्ध मौत के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस की लापरवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल को तलब किया और उनके जवाब से संतुष्ट न होने पर हाईकोर्ट ने उन्हे कल गुरुवार तक प्रयागराज न छोड़ने के आदेश दिए। हाई कोर्ट ने डीजीपी को पूरी तैयारी के साथ गुरुवार को फिर हाजिर होने को कहा है।
बताते चलें कि मैनपुरी की छात्रा की संदिग्ध मौत के मामले में डीजीपी मुकुल गोयल आज सुबह 10 बजे हाईकोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने छात्रा की मौत से जुड़े कई सवाल किए। कोर्ट ने कहा कि इस हत्याकांड के अभियुक्तों को बयान लेकर छोड़ दिया गया, उनकी गिरफ्तारी भी नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि 2019 के केस में 2021 में जाकर एफआईआर दर्ज हुई है। इतना ही नहीं कोर्ट ने डीजीपी से एफआईआर की कॉपी पढ़ने को कहा और उन्हे जमकर फटकार लगाई।
तत्कालीन एसपी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश…..
हाईकोर्ट ने तत्कालीन एसपी मैनपुरी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि तत्कालीन मैनपुरी एसपी को हटाएं या उन्हे जबरन रिटायर कराया जाए। कोर्ट ने डीजीपी मुकुल गोयल को कल गुरुवार सुबह पूरी तैयार के साथ 10 बजे कोर्ट में फिर पेश होने को कहा। कोर्ट ने डीजीपी को तब तक प्रयागराज न छोड़ने के आदेश दिए।
छात्रा की संदिग्ध मौत का ये है पूरा मामला. . . . .
16 सितंबर 2019 को मैनपुरी के भोगांव में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में 11वीं की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। हॉस्टल के पूजाघर में उसका शव फंदे से लटकता हुआ मिला था। शुरुआती जांच में पुलिस ने सुसाइड की आशंका जताई थी। पुलिस की माने तो छात्रा की डायरी में उसे परेशान किए जाने का जिक्र था, इस वजह से वह डिप्रेशन में थी। हालांकि परिजनों ने विद्यालय प्रशासन पर छात्रा की हत्या का आरोप लगाया था। भोगांव थाने में छात्रा के पिता द्वारा दर्ज एफआईआर में प्रिंसिपल और एक छात्र को नामजद भी किया गया था।
डीजीपी सहित 3 जिलों के एसपी कोर्ट में पेश हुए…
हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर प्रदेश के डीजीपी सहित तीन जिलों के एसपी आज कोर्ट में पेश हुए तो ये मामला फिर से चर्चा का विषय बन गया। महेंद्र प्रताप सिंह की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ ने पुलिस लापरवाही पर काफी सख्त रुख अख्तियार किया है, जिससे यूपी पुलिस में हड़कंप मच गया है। जवाहर नवोदय विद्यालय में मैनपुरी निवासी कक्षा 11 की छात्रा का शव फांसी पर लटका मिला था। इस मौत को दुष्कर्म के बाद हत्या बताया गया और परिजनों की तहरीर पर भोगांव कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया। भोगांव पुलिस ने मृतका के पिता की तहरीर पर नवोदय की प्रधानाचार्या सुषमा सागर, वार्डन विश्रुति, स्कूल के छात्र अजय पुत्र जयप्रकाश निवासी ललूपुर व उसके अन्य साथियों के खिलाफ पुलिस ने हत्या, दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस ने जांच के दौरान 2 नवंबर 2019 को घटना को आत्महत्या मान लिया और हत्या की धारा हटा दी। एफआईआर से अज्ञात आरोपी भी हटा दिए गए।
15 सितंबर को नामजदों ने दी थी मारने की धमकी….
मृतक छात्रा के पिता ने शिकायत की थी कि 12 सितंबर को पुत्री से मिलने उसकी मां स्कूल गई तो उसने शिकायत की थी कि प्रधानाचार्या सुषमा सागर, विद्यालय का छात्र अजय व उसके साथी उसे परेशान करते हैं और जान से मारने की धमकी देते हैं। पत्नी ने यह शिकायत प्रधानाचार्या से करने की कोशिश की तो उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया। 15 सितंबर को पुत्री ने फोन से मां को जानकारी दी कि उपरोक्त लोग उसे फिर मारने की धमकी दे रहे हैं। 16 सितंबर की सुबह प्रधानाचार्या सुषमा सागर, हॉस्टल वार्डन, विद्यालय के छात्र अजय व उसके साथियों ने अनुष्का को पीटा और उसे फांसी पर लटका दिया, जिससे उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने छात्रा की हत्या हुई, ये कभी नहीं माना….
छात्रा की संदिग्ध हालात में मौत ने मैनपुरी पुलिस की नींद उड़ा रखी है। डीजीपी के तलब होने के बाद इस मामले में फिर से गर्मी आ गई है। हाईकोर्ट की नाराजगी सामने आने के बाद एक बात तो तय हो गई है कि इस मामले में बड़े स्तर पर कार्रवाई होगी। खास बात ये है कि मैनपुरी पुलिस ने छात्रा की मौत को कभी हत्या माना ही नहीं। पुलिस ने घटना को आत्महत्या करार दिया और रेप की बात को भी स्वीकार नहीं किया। हालांकि हत्या की धारा हटाने के बाद दुष्कर्म की धारा पर विवेचना आज भी पुलिस कर रही है। मामले को आज दो वर्ष पूरे हो गए हैं। इस मामले में परिजनों ने नगर पालिका परिसर में भूख हड़ताल की थी। उनकी मांग थी कि इस मामले को सीबीआई को सौंपा जाए। तत्कालीन जिलाधिकारी प्रमोद उपाध्याय और पुलिस अधीक्षक अजय शंकर राय ने सीबीआई जांच की संतुति किए जाने की जानकारी देकर भूख हड़ताल कराई थी।
सीबीआई जांच के स्थान पर बनाई गई एसआईटी…
स्थानीय प्रशासन ने भले ही सीबीआई जांच की बात कही लेकिन शासन ने इस पूरे प्रकरण को एसआईटी के हवाले कर दिया। एसआईटी में शामिल आईजी (कानपुर) मोहित अग्रवाल, एसपी (मैनपुरी) अजय कुमार पांडेय तथा एसटीएफ के सीओ श्यामकांत को शामिल किया गया। एसआईटी अब तक इस प्रकरण में 150 से अधिक लोगों के डीएनए की जांच करा चुकी है। पिछले दिनों 10 अन्य लोगों के डीएनए की जांच कराई गई, लेकिन सारी रिपोर्ट नैगेटिव आयी हैं।
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,