जमालपुर कारखाना को 175 टन क्रेन निर्माण कार्य देने क्यों कर रहा विलंब
मुंगेर, 15 सितंबर। एशिया प्रसिद्ध जमालपुर रेल कारखाना के 159वाँ स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते बुधवार को तत्कालीन इरिमी निदेशक ने कहा कारखाना की कुशल करीगरों का परचम 140 टन क्रेन, जमालपुर जैक का निर्माण कर यह सिद्ध करने को बेताब है कि जमालपुर रेल कारखाना 140 टन क्रेन बाद 175 टन क्रेन बनाएगी और यह प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा जा चुका है। इसके निर्माण कार्य का आडर देने में विलंब क्यों हो रहा है पता नही। 175 टन क्रेन इसके पूर्व किसी ने नहीं बनाया है। जो एक भारत के लिए रिकॉर्ड होगा । अब देखना हैं कि मोदी सरकार टू 175 टन क्रेन जमालपुर में निर्माण हो इस प्रस्ताव को पास कर आत्मनिर्भर भारत स्वावलंबी भारत का सपना कब साकार करती हैं। निजीकरण दौड़ में यह देखना दिलचस्प होगा।
उन्होंने कहा इसके पूर्व जमालपुर कारखाने में लगभग 6 प्रकार की क्रेन का निर्माण किया है। बदलते समय और बदलते तकनीक में यहां के कारीगर स्वयं को अपने आप को ढाल लेते हैं और मंत्रालय स्तर पर खरा उतरते हैं। सरकार यदि डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया की बात करती है तो यहां के कारीगर भी उसी अंदाज में अपना काम दिखाते हैं। वर्तमान में जापान के गोल्टवालट कंपनी का डिजाइन पर 140 टन क्रेन जमालपुर कारखाना में बनाई जा रही है। यह इतिहास 28 क्रेन का है एवं रेल दुर्घटना में यह तत्क्षण कार्य करती है और एक 100 किलोमीटर प्रति घंटा का स्पीड से भी चलती है।
उल्लेखनीय है कि दुर्घटना के वक्त तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव क्रेन को देखें तो उन्होंने जमालपुर रेल कारखाना आकर क्रेन को पूरी तरह जांचा परखा और अधिकारी से वार्ता की एवं सभा को संबोधित कर कहा कि यहां के कुशल कारीगर और क्या-क्या बना सकते हैं। तब कारीगरों ने स्पष्ट जवाब दिया। यहां के कारीगर हवाई जहाज भी बना सकते हैं। लालू यादव भी मुस्कुराए और रेलकर्मी भी ठहाका लगाएं। जिसके बाद लालू यादव ने निर्माण कारखाना की बात मान ले और उस ओर अग्रसर होते हुए 3 पद सीओएस, सीएओ एवं एफएएनसीएओ का सृजन किया। गोल्टवालट की अत्याधुनिक क्रेन सन 1998 से जमालपुर कारखाना में निर्माण किया जा रहा है एवं इसके पूर्व 1987 ईस्वी तक विभिन्न प्रकार की क्रेन बनाए जाते रहे हैं। यहां तक कि वाष्प क्रेन भी यहां बनाया जाता था। पहली बार भारतीय रेल में सन 1961 में जमालपुर ने कारखाना में एआरटी क्रेन निर्माण किया। जो एक भारतीय रेल का इतिहास है।
उल्लेखनीय हैं कि एशिया प्रसिद्ध कारखाना अंग्रेजी हुकूमत ने बनवाया और ईस्ट इंडिया कंपनी आने के साथ 1960 के दशक में अंग्रेजी हुकूमत जमालपुर पर हावी थी और यहां की आबोहवा को देखकर एशिया प्रसिद्ध कारखाना जमालपुर में गाड़ दिया। इसके साथ ही 25 हजार मजदूर कार्यरत हो गए। जिसे ले जाने ले आने के लिए 3 श्रमिक ट्रेन चलाई गई जो क्रमशः सुल्तानगंज से जमालपुर, उड़ैन से जमालपुर एवं मुंगेर से जमालपुर चलती थी और यहां से आधे बिहार के लोग जमालपुर आते थे। कारखाना में बाबा विश्वकर्मा का कार्य करते थे। जिसको लेकर जमालपुर कारखाना में 1 दिन पहले 16 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा मनाया जाता है। यह इतिहास है। तत्कालिक रेल मंत्री लालू यादव का दिया गया तीनों पद तत्कालीन सरकार ने खत्म कर दिया लेकिन कारीगर हिम्मत नहीं खोए हैं। प्रगति के पथ पर अग्रसर है । यदि 175 टन क्रेन जमालपुर को बनाने को मिल जाता है। यह भी भारतीय रेल के लिए एक इतिहास होगा। जिसे नंगी आंखों से भारतीय देखेंगे।
“हिन्द वतन समाचार”