दिल्ली दंगे : एक आरोपी बरी, अदालत ने कहा, कॉमन सेंस की अनदेखी नहीं होनी चाहिए
नई दिल्ली, 09 सितंबर। दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े एक मामले में एक आरोपी को बरी करते हुए कहा कि साम्प्रदायिक हिंसा के मामलों में अत्याधिक संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाना चाहिए, लेकिन व्यावहारिक बुद्धि (कॉमन सेंस) की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद यादव ने
22 वर्षीय जावेद को आग या विस्फोटक पदार्थ से क्षति पहुंचाने के आरोप से बरी कर दिया और कहा कि शिकायतकर्ताओं के बयान से यह स्पष्ट नहीं होता कि संबंधित अपराध हुआ था। न्यायाधीश ने कहा कि यह अदालत इस तथ्य से अवगत है कि साम्प्रदायिक दंगों से जुड़े मामलों में अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाना चाहिए, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है
कि कॉमन सेंस छोड़ दिया जाए। इस चरण में भी रिकॉर्ड में उपलब्ध चीजों के संबंध में दिमाग लगाया जाना चाहिए। चार लोगों द्वारा दायर शिकायतों के आधार पर आरोपी जावेद को अप्रैल 2020 में गिरफ्तार किया गया था। शिकायतकर्ताओं ने दावा किया था कि 25 फरवरी, 2020 को दंगाई भीड़ ने उनके घर, गोदाम और दुकानों में तोड़फोड़ व लूटपाट की थी। अदालत ने इस बात
पर गौर किया किया कि घटना का कोई चश्मदीद गवाह, कोई सीसीटीवी फुटेज या तस्वीर नहीं है। इसने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि शिकायतकर्ताओं ने भीड़ द्वारा आग या विस्फोटक पदार्थ से क्षति पहुंचाए जाने के बारे में एक भी शब्द नहीं कहा। गौरतलब है कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुईं, नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद कम से कम 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए।