नई शिक्षा नीति से युवाओं के लिए रोजगार और कौशल के नए अवसर सृजित होंगे
भोपाल, 06 सितंबर। राजधानी में स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत ‘नई शिक्षा नीति और हिंदी’ विषय पर एक व्याख्यान सत्र आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विवि के कुलपति प्रोफेसर खेमसिंह डहेरिया ने की। इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार आशीष कंधवे ने मुख्य अतिथि तथा डॉ राजेश श्रीवास्तव ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई। प्रो खेमसिंह डहेरिया ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि नई शिक्षा नीति में रोजगार और विकास दोनों की संभावनाएं हैं। नई शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में महती भूमिका निभा सकती है। साथ ही यह नीति रोजगार कौशल का विकास कर हमारी संस्कृति, परंपरा को वैश्विक रूप पर प्रतिष्ठित करेगी। हिंदी विश्वविद्यालय संपूर्ण मध्यप्रदेश में 150 अध्ययन केंद्र चला रहा है। यह मातृभाषा हिंदी में चलाए जा रहे हैं।
वहीं मुख्य अतिथि आशीष कधवे ने बताया कि नई शिक्षा नीति में ज्ञान को परिभाषित किया गया है कि सिर्फ सूचना से संतुष्ट नहीं होना चाहिए। ज्ञान शब्द को सभी विभागों में अलग-अलग रूप से परिभाषित किया गया है। जब समाज में शिक्षा वस्तुनिष्ठ हो जाए तो समाज ज्ञान से दूर हो जाता है। नई शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य है शिक्षा के स्तर समान हो और अंतिम पंक्ति में भी अंतिम व्यक्ति को मिलना सुनिश्चित हो। समाज कला संस्कृति भाषा रचनात्मक लेखन मातृभाषा को लेकर कई प्रावधान किए गए हैं। नई शिक्षा नीति में त्रिभाषा का फार्मूला है। भारतीय चेतना को पुन: जागृत करने के लिए सार्थक प्रयास है। विशिष्ट अतिथि डॉ
राजेश कुमार श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में बताया कि शिक्षा का सबसे बड़ा शोध भागवत गीता है, योग वशिष्ठ रामायण में विशिष्ट कृष्ण और राम के बीच संवाद हुए राम अच्छे गुरु शिक्षक थे। नई शिक्षा नीति संस्कृति विकास पर आधारित, मध्य प्रदेश के स्नातक पाठ्यक्रम में सुंदरकांड को सम्मिलित किया गया है। नई शिक्षा नीति में हमेशा बहुत से नवाचार की संभावना है। कार्यक्रम में आभार व्यक्त कुलसचिव यशवंत सिंह पटेल द्वारा किया गया। कार्यक्रम का आयोजन हिंदी विभाग और अनुवाद विभाग द्वारा किया गया, जिसमें पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सभी शिक्षक व विद्यार्थी, कर्मचारी उपस्थित रहे।