हाई कोर्ट के निर्णय के बाद सुपरटेक ने दिए थे निवेशकों को ये तीन विकल्प

हाई कोर्ट के निर्णय के बाद सुपरटेक ने दिए थे निवेशकों को ये तीन विकल्प

नोएडा, 31 अगस्त। इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्णय आने के बाद 19 अप्रैल 2014 को निवेशकों के साथ सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने सेक्टर 58 में बैठक की थी। इसमें निवेशकों को तीन विकल्प देने का निर्णय लिया था। निवेशकों को चेयरमैन के हस्ताक्षर का पत्र भी जारी किया गया था। अपेक्स व सियान टावर के निवेशकों के सामने सुपरटेक ने तीन विकल्प में से कोई एक चुनने के लिए 30 अप्रैल 20 तक का समय दिया था।

निवेशकों को दिए गए विकल्प

निवेशक 14 फीसद ब्याज के साथ धनराशि वापस ले सकते हैं।

निवेशक सुपरटेक के किसी अन्य प्रोजेक्ट में फ्लैट ले सकते हैं। दोनों फ्लैटों के वर्तमान की कीमत का अंतर निवेशक को सुपरटेक की तरफ से वापस कर दिया जाएगा। निवेशक किस प्रोजेक्ट में जाना चाहता है, यह उसे तय करना होगा। अगर उसकी मन-पसंद प्रोजेक्ट में फ्लैट खाली होगा तो उसे तत्काल शिफ्ट कर दिया जाएगा।

निवेशक चाहें तो वह सुपरटेक के साथ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। 250 निवेशकों ने नहीं चुना था कोई विकल्प

निवेशकों को दिए गए विकल्प में से 250 निवेशकों ने 14 फीसद ब्याज सहित अपना पैसा वापस ले लिया था। वहीं करीब 150 निवेशक दूसरे प्रोजेक्ट में शिफ्ट हो गए थे। करीब 250 निवेशक ऐसे थे, जिन्होंने कोई विकल्प नहीं चुना था और वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे। इनमें से कई निवेशकों ने अलग-अलग समय पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी।

अप्रैल 2014 में अपेक्स और सियान एसोसिएशन प्राधिकरण और बिल्डर की गलती को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की तैयारी की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने के लिए उस समय निवेशकों ने चंदा इकट्ठा किया था। चंदा एकत्र करने के साथ उस समय एसोसिएशन ने बिल्डर या प्राधिकरण के सुप्रीम कोर्ट जाने का इंतजार किया था। एसोसिएशन के पदाधिकारी चाहते थे कि बिल्डर या प्राधिकरण में से कोई सुप्रीम कोर्ट जाए तो एसोसिएशन भी अपील कर देगा।

एसोसिएशन के तत्कालीन महासचिव धर्मेद्र सिंह का कहना है कि निवेशक इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा परेशान हुए हैं। प्राधिकरण और बिल्डर की मिलीभगत से गड़बड़ी हुई, जबकि परेशान निवेशक हैं। जीवनभर की कमाई इसमें लगा दी गई है। उस समय यह निर्णय लिया गया था कि सुप्रीम कोर्ट में प्राधिकरण और बिल्डर की गलती को आधार बनाकर राहत की अपील करेंगे।