खरस्रोता नदी का पानी दूसरे जिले को देना औद्योगिक घरानों के हित साधेगा: माकपा
नई दिल्ली, 29 अगस्त। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने पड़ोसी भद्रक जिले में पाइप से पानी की आपूर्ति के लिए खरस्रोता नदी के पानी की दिशा मोड़ने के ओडिशा सरकार के कदम का कड़ा विरोध किया है और आरोप लगाया कि यह पड़ोसी जिले में स्थित औद्योगिक घरानों के हितों की रक्षा के लिए सोची-समझी साजिश है। माकपा नेता एवं पार्टी की राज्य इकाई के पूर्व सचिव जनार्धन पाटी ने कहा कि केंद्रपाड़ा जिले में खरस्रोता नदी से पानी को पड़ोसी भद्रक जिले की ओर मोड़ने से पानी की खपत क्षमता में कमी आना तय है।
उन्होंने कहा कि केंद्रपाड़ा के उन लोगों के व्यापक हित के लिए नदी के प्राकृतिक प्रवाह को संरक्षित किया जाना चाहिए जो आजीविका के लिए ज्यादातर कृषि आय पर निर्भर हैं। उन्होंने शनिवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ‘जिस तरह से सरकार विशाल पेयजल परियोजना के खिलाफ आंदोलन को कुचल रही है, उससे यह विश्वास होता है कि यह परियोजना भद्रक जिले में धामरा बंदरगाह सहित उद्योगों की पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए लागू की जा रही है।
उन्होंने दावा किया कि यदि बंदरगाह और अन्य कंपनियों को इस बड़ी परियोजना से पानी लेने की अनुमति दी जाती है, तो जलस्तर में भारी गिरावट आएगी और निकटवर्ती भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान की खेती एवं पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जहां देश का दूसरे सबसे बड़ा मैनग्रोव क्षेत्र है। माकपा नेता ने कहा कि चूंकि प्रस्तावित पेयजल परियोजना के लिए कोई पर्यावरणीय प्रभाव आकलन उचित ढंग से नहीं किया गया है इसलिए परियोजना के निर्माण के साथ आगे बढ़ने का राज्य सरकार का यह फैसला “अनुचित” है।
892 करोड़ रुपये के बक्सी जगबंधु बसावटों को सुनिश्चित जलापूर्ति (बसुधा) जल परियोजना को लेकर यह सामने आने के बाद से पिछले दो हफ्तों से केंद्रपाड़ा जिले में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं कि खरस्रोता नदी के पानी को भद्रक की तरफ मोड़ दिया जाएगा। एहतियात के तौर पर राजकनिका प्रखंड के बालकाटी, भरीगड़ा और बरुनाडीहा पंचायतों में आठ अक्टूबर तक निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी है।