PM: मोदी ने कहा कि आज का युवा अब ‘सर्वश्रेष्ठ’ की तरफ अपने आपको केन्द्रित कर रहा है और सर्वोत्तम करना चाहता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह भी राष्ट्र की बहुत बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा।’’

 

प्रधानमंत्री ने देशवासियों को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए इस्कॉन से जुड़ी अमेरिका में जन्मीं जदुरानी दासी से बात की और कहा कि दुनिया के लोग जब आज भारतीय अध्यात्म और दर्शन के बारे में इतना कुछ सोचते हैं तो अपनी इन महान परम्पराओं को आगे लेकर जाने की जिम्मेदारी देश की है।

 

उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने पर्व मनाएं, उसकी वैज्ञानिकता को समझें, उसके पीछे के अर्थ को समझें। इतना ही नहीं, हर पर्व में कोई न कोई सन्देश है, कोई-न-कोई संस्कार है। हमें इसे जानना भी है, जीना भी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत के रूप में उसे आगे बढ़ाना भी है।’’

 

संस्कृत को लोकप्रिय बनाने की दिशा में हो रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भाषा अपने विचारों व साहित्य के माध्यम से ज्ञान-विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है तथा उसे मजबूत करती है।

 

इस दिशा में दुनिया के विभिन्न देशों में विभिन्न स्तरों पर हो रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि हाल के दिनों में इस दिशा में जो प्रयास हुए हैं, उनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरूकता आई है।

 

उन्होंने कहा, ‘‘अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढाएं। हमारी विरासत को संजोना, उसे संभालना, नई पीढ़ी को देना, ये हम सब का कर्तव्य है और भावी पीढ़ियों का उस पर हक भी है। अब समय है कि इन कामों के लिए भी सबका प्रयास ज्यादा बढ़े।’’

 

प्रधानमंत्री ने देशवासियों को ‘‘विश्वकर्मा जयंती’’ की भी शुभकामनाएं दीं और कहा कि सृष्टि की जितनी भी बड़ी रचनाएं हैं और जो भी नए और बड़े काम हुए हैं, शास्त्रों में उनका श्रेय भगवान विश्वकर्मा को

देश में विकसित हो रही है स्टार्टअप संस्कृति, उज्ज्वल भविष्य का संकेत: प्रधानमंत्री मोदी