राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा माननीय जनपद न्यायाधीश मथुरा श्री विवेक…

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा माननीय जनपद न्यायाधीश मथुरा श्री विवेक…

संगल जी के निर्देशानुसार शुक्रवार को एक विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन…

उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ तथा माननीय जनपद न्यायाधीश मथुरा श्री विवेक संगल जी के निर्देशानुसार शुक्रवार को एक विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन तहसील विधिक सेवा समिति, सदर के सभागार में किया गया, जिसकी अध्यक्षता सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा की गई। इस अवसर पर सदर उपजिलाधिकारी श्री प्रशान्त नागर, सदर तहसीलदार श्री प्रेममाल सिंह, अध्यक्ष बार एसोसिएशन तहसील सदर चौ0 हाकिम सिंह सहित अधिवक्तागण, ग्राम प्रधान, किसान, कानूनगो, लेखपाल व आम जनमानस उपस्थित रहा। इस विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन कोविड-19 हेतु पारित दिशानिर्देशों का पूर्णतः अनुपालन करते हुए मास्क व सैनेटाइजर का प्रयोग व सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए किया गया।

सदर तहसीलदार श्री प्रेमपाल सिंह द्वारा इस विधिक साक्षरता शिविर का संचालन करते हुए इसके महत्व पर प्रकाश डाला गया तथा तहसील स्तर से संचालित विभिन्‍न योजनाओं की जानकारी दी गई।

वक्तागण श्री श्यामलाल तरकर, चौ0 हाकिम सिंह एड0 आदि द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, पैंशन, मनरेगा, स्वयं सहायता समूह योजना, समूह सखी योजना, दैवीय आपदा योजना, किसान कल्याण दुर्घटना बीमा योजना, ग्रामीण स्वामित्व योजना, कन्या शादी योजना, जीवन ज्योति बीमा योजना, वृद्धावस्था पैंशन योजना, विधवा पैंशन योजना, जन सुविधा केन्द्र द्वारा जारी योजना आदि पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया।

उपजिलाधिकारी सदर श्री प्रशान्त नागर द्वारा तहसील विधिक सेवा समिति के कार्य व दी जा रही निःशुल्क सेवाओं के सम्बंध में बताया गया ।

विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा की सचिव सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा एस.सी.एस.टी. एक्ट के सम्बंध में बताते हुए कहा कि सन्‌ 1947 में जब देश आजाद हुआ और उसके बाद 1950 में जब देश का अपना संविधान लागू होने पर भी देश में कुछ लोग अपने अधिकारों से वंचित रहे। भारतीय संविधान द्वारा कुछ विशेष वर्ग जैसे अति पिछड़ा, दलित आदि को समानता का मौलिक अधिकार मिला था, लेकिन यह वर्ग लगातार भेदभाव का शिकार होता रहा। अगर इनकी आर्थिक स्थिति की बात करें तो वो भी लगातार भेदभाव का शिकार होता रहा। साथ ही सामाजिक स्थिति भी बेहद खराब थी । इसलिए सरकार द्वारा एस.सी.एस.टी. एक्ट लाने की जरूरत पड़ी। कभी भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के अतिरिक्त कोई व्यक्ति किसी भी तरह से किसी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति वर्ग से सम्बंध रखने वाले किसी व्यक्ति को प्रताड़ित करेगा, तो उसके विरूद्ध यह कानूनी कार्यवाही की जायेगी । भारत सरकार ने दलितों पर होने वाले विभिन्‍न प्रकार के अत्याचारों को रोकने के लिए भारतीय संविधान की अनुच्छेद 17 के आलोक में यह विधान पारित किया। दलितों पर अत्याचार के विरूद्ध कठोर दंड का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम के अन्तर्गत आने वाले अपराध संज्ञेय, गैर जमानती और समझौता योग्य नहीं होते हैं |

सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्य, निःशुल्क विधिक सहायता पाने के पात्र व्यक्ति, राष्ट्रीय लोक अदालत, स्थायी लोक अदालत, मध्यस्थता केन्द्र, पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना, विधिक साक्षरता शिविर का महत्व, ए.डी.आर. सेन्टर, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना आदि पर भी विस्तृत रूप से जानकारी दी गई।

विधिक साक्षरता शिविर के अंत में तहसीलदार सदर श्री प्रेमपाल सिंह द्वारा उपस्थित सभी अतिथियों व जनसमूह का धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…