भारत का मिनी स्विट्रजरलैंड खजियार…
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित खजियार को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है। खजियार के अलावा, यहां के आस-पास का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है…
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में बेहद खूबसूरत स्थल है खजियार। समुद्र तल से करीब 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्थल पश्चिम हिमाचल की धौलाधार पर्वत शृंखला के बीच में बसा है। खजियार का नाम यहां स्थित च्खजी नागज् के मंदिर के कारण पड़ा माना जाता है।
इस स्थल की भौगोलिक संरचना के कारण इसे भारत का मिनी स्विट्जरलैंडज् भी कहा जाता है। यहां एक ही स्थान पर झील, चरागाह और वन इन तीनों पारिस्थितिक तंत्र का होना एक दुर्लभ संयोग की तरह है, जो इसकी सुंदरता में और भी निखार लाता है। खजियार और इसके आस-पास अन्य कई सुंदर जगहें भी हैं, जिन्हें घूमे बगैर आपकी यात्रा अधूरी-सी मानी जाएगी। …तो आइए चलते हैं इन सभी को बारी-बारी से निहारने।
खजियार झील:- यह खजियार का मुख्य आकर्षण है। चारों ओर से घने देवदार के जंगल और हरे मैदान के बीचों-बीच स्थित इस झील और झील के बीच में स्थित छोटेछोटे भूखंड इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
खाजीनाग मंदिर:- 12वीं शताब्दी में बना खाजीनाग का मंदिर लोगों की धार्मिक आस्था और श्रृद्धा का प्रतीक है। नाग को समर्पित इस मंदिर में नाग की मूर्तियों के अलावा, मंडप में पांडवों द्वारा कौरवों पर हुई जीत की छवियों को छत की लकड़ी पर देखा जा सकता है, जो इसकी ऐतिहासिकता को और समृद्ध करती है।
डलहौजी:- खजियार से लगभग 24 किमी। दूरी पर डलहौजी है, जिसे ब्रिटिशकाल में लॉर्ड डलहौजी ने बसाया था। उन्हीं के नाम पर इस स्थान का नाम पड़ा है। यहां पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी ठहरे थे। डलहौजी में अजीत सिंह का समाधि स्थल, सुभाष बावली, सतधारा, पंचपुला, डलहौजी मार्केट और बहुत सारे प्राचीन चर्च पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
कालाटोप:- खजियार से लगभग 13 किमी। दूर कालाटोप एक वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र के अंतर्गत खूबसूरत स्थल है। यहां का लकड़मंडी और इसके दाईं ओर डायन (डैन) कुंड अन्य प्रमुख रमणीय स्थल हैं।
चंबा शहर:- खजियार से 22 किमी। की दूरी पर दर्शनीय जगह है चंबा शहर। यहां से आप अपनी पसंद की हर चीज खरीद सकते हैं। इस बाजार से चंबा रुमाल, चंबा की चप्पल और यहां की अन्य ठेठ पारंपरिक चीजें खरीदना न भूलें।
भूरि सिंह संग्रहालय:- चंबा में स्थित यह संग्रहालय चंबा के राजा भूरि सिंह के नाम पर पड़ा है। इस संग्रहालय में रियासतकालीन बहुमूल्य और नायाब चीजें देखने को मिलेंगी, जिसमें तांबें की प्लेट, भित्ति चित्र, दरवाजे, वेशभूषा तथा नक्काशीदार चीजें शामिल हैं। प्राचीन सिक्के, पहाड़ी गहने, पारंपरिक वेशभूषा, शाही हथियार, कवच, संगीत वाद्य यंत्र व अन्य सजावटी वस्तुएं भी यहां के संग्रह में शामिल हैं।
लक्ष्मी नारायण मंदिर:- 10वीं शताब्दी में राजा साहिल वर्मन द्वारा बनाया गया लक्ष्मी नारायण का मंदिर चंबा शहर का मुख्य मंदिर है। शिखर शैली में बने इस मंदिर परिसर में राधा-कृष्ण, शिव-गौरी आदि देवीदेवताओं के मंदिरों को भी शामिल किया गया है। चंबा पहुंचने वाले पर्यटक इन मंदिरों का दर्शन करने अवश्य पहुंचते हैं।
चैगान:- चंबा का चैगान एक ऐसा विस्तृत मैदान है, जहां हर कोई थोड़ी देर बैठकर जरूर आराम करना चाहेगा। यहां से दिखने वाला चंबा का सुंदर नजारा हर किसी को अपने आकर्षण में बांध लेता है।
भरमौर:- खजियार से लगभग 64 किमी। दूर और करीब 7000 फीट की ऊंचाई पर चंबा का जनजातीय क्षेत्र भरमौर एक दर्शनीय स्थल है। भरमौर पहले चंबा की राजधानी थी। यहां मौसम के मिजाज को देखते हुए ही जाना चाहिए। जरा-सा मौसम खराब होते ही यहां बर्फबारी का नजारा भी देखा जा सकता है। यहां का शिखर शैली में बना चैरासी मंदिर परिसर पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।
खजियार तक सड़क मार्ग होने के कारण आप किसी भी वाहन द्वारा यहां पहुंच सकते हैं। दिल्ली से खजियार की दूरी लगभग 565 किमी। और चंडीगढ़ से 215 किमी। है। नजदीक का रेलवे स्टेशन पठानकोट (80 किमी।) और नजदीक के हवाई अड्डे पठानकोट (80 किमी।), गग्गल (180 किमी।) और कांगड़ा हैं।
कब जाएं:- अप्रैल से अक्टूबर खजियार घूमने का सही मौसम है। उसके बाद के महीनों में यहां बर्फबारी होने लगती है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…