परिवार की ओर से अलग किए गए नविवाहित जोड़े को मिलाने के बाद…
अदालत ने कहा, ‘अंत भला तो सब भला…
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिला के परिवार द्वारा अलग किए गए नवविवाहित जोड़े को उसके आदेश पर मिलाने और दोनों के राष्ट्रीय राजधानी में खुशी-खुशी रहने पर टिप्पणी की कि ‘‘ अंत भला तो सब भला।’’
अदालत ने इस मामले में पुलिस की ‘प्रभावी और तत्काल’’ कार्रवाई की भी प्रशंसा की। जानकारी के मुताबिक महिला को उसकी इच्छा के विपरीत उत्तर प्रदेश के पैतृक निवास में रखा गया था और उच्च न्यायालय के निर्देश पर उसे दिल्ली स्थित ससुराल लाया गया।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनुप जयराम भामभानी की पीठ को सूचित किया गया कि जब महिला उत्तर प्रदेश स्थित एटा जिले के मिरहेची स्थित अपने पैतृक घर से दिल्ली आ रही थी तब करीबी परिजनों ने उसे जाने से रोका और नतीजा भुगतने की धमकी दी। इस पर पीठ ने दिल्ली स्थित आनंद पर्वत पुलिस थाने के प्रभारी को दंपति की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
अदालत को पति के वकील ने बताया कि अब जोड़ा मिल गया है। इस पर अदालत ने कहा,‘‘अंत भला तो सब भला, पहले के हालात को देखते हुए, मौजूदा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में राहत संतुष्ट करने योग्य है।’’
अदालत पति द्वारा दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकण याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें अनुरोध किया गया था कि उसकी पत्नी को उसके परिवार वाले दिल्ली नहीं आने दे रहे हैं, अंत उसे अदालत के समक्ष पेश करने का आदेश दिया जाए।
उच्च न्यायालय ने दो अगस्त को निर्देश दिया था कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश की पुलिस अपनी सुरक्षा में महिला को उसके पैतृक घर से ससुराल पहुंचाए। इससे पहले वीडियो कांफ्रेंस के जरिये सुनवाई में शामिल हुई महिला ने ससुराल जाने की इच्छा जताई थी।
गौरतलब है कि जोड़े ने इस साल जून में दिल्ली के रोहिणी स्थित आर्य समाज मंदिर में शादी की थी और आरोप लगाया था कि लड़की के परिवार ने उन्हें अलग कर दिया है।
हिन्द वतन समाचार की रिपोर्ट…