सहकारिता भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी अधिकारी को हाईकोर्ट से नहीं मिला अरेस्ट स्टे…
ओमकार यादव: नहीं मिला अरेस्ट स्टे 👆
भूपेंद्र कुमार: नामजद एफआईआर 👆
मुख्यमंत्री के निर्देश पर एसआईटी कर रही है मामले की जांच, कब होगी गिरफ्तारी ?
लखनऊ। सहकारिता विभाग में भर्ती घोटाले के मुख्य आरोपी अधिकारी की संभावित गिरफ्तारी पर रोक लगाए जाने की मांग वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। अब यह अधिकारी गिरफ्तारी से बचने के लिए नए सिरे से न्यायालय से अरेस्ट स्टे हासिल करने में लगा हुआ है। वहीं खुद सहकारिता विभाग के कर्मचारी भी इस बात से हतप्रभ हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त तेवर के चलते भर्ती घोटाले की जांच तो दो माह से अधिक समय पूर्व ही एसआईटी को सौंपी जा चुकी है और एसआईटी ने मामले में विधिवत एफआईआर भी दर्ज कर ली है, लेकिन गिरफ्तारी अभी तक एक भी आरोपी की नहीं हुई है।
बताते चलें कि सहकारिता विभाग व अधीनस्थ संस्थाओं में 1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 के बीच हुई नियुक्तियों में घोटाले की शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उ०प्र० शासन, गह (पुलिस) अनुभाग-3 के पत्र के आधार पर विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) के निरीक्षक कुंवर ब्रह्म प्रकाश सिंह ने 21 मई 2021 को उ०प्र० राज्य भण्डारण निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक एवं अध्यक्ष उ०प्र० स. सं.से.मं तथा सेवा मंडल, लखनऊ के तत्कालीन सचिव भूपेन्द्र कुमार, डाटा कंम्पयूटर सिस्टम, लखनऊ की श्रीमती नीलम पांडेय व उ०प्र० सहकारी संस्थागत सेवा मंडल लखनऊ के अन्य अज्ञात अधिकारी व कर्मचारियों के विरुद्ध एसआईटी थाने में आईपीसी की धारा 420/467/468/471/201/204 एवं 120बी के तहत 21 मई 2021 को एफआईआर दर्ज कराई थी।
आरोप है कि 2012 से 2017 के दरम्यान सहकारिता विभाग ने 5127 पदों पर भर्तियां निकालीं, जिसमें अफसरों ने खूब लूट मचाई। अधिकांश पदों पर एक विशेष जाति के अभ्यर्थियों का चयन किए जाने एवं बिना ई-टेंडर काम बांटने आदि का आरोप है। इन्ही सब शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर एफआईआर तो दर्ज हो गई और एसआईटी जांच भी शुरू हो गई, लेकिन अभी तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि आरोपी अधिकारी इसी का लाभ उठाकर सबूतों को दबाने में जुटे हुए हैं।
विशेष संवाददाता विजय आनंद वर्मा की रिपोर्ट, , ,